मंदिर की विशेषता :
इस मंदिर की विशेषता यह है आमतौर पर शिवलिंग सामान्य होते हैं, जिसपर कोई नक्काशी नहीं की जाती है, लेकिन इस शिवलिंग पर नक्काशी की गई है। बताया जाता है कि सोमनाथ मंदिर लूटकर लौट रहे मोहम्मद गजनी ने गळतेश्वर महादेव मंदिर देखा तो उसने गुंबद नष्ट कर दिया था।
हर वर्ष लगते हैं दो मेले
यहां हर वर्ष जन्माष्टमी एवं शरद पूर्णिमा पर मेला लगता है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि पर भी बड़ी संख्या में दर्शनार्थी उमड़ते हैं।
यह है मान्यता :
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में गालव ऋषि ने १० हजार वर्ष तक भगवान शंकर की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने शिवलिंग के रूप में गालव ऋषि को दर्शन दिए थे। अर्थात यह एक स्वयंभू शिवलिंग हैं। तत्कालीन समय में कुंतलपुर नाम का नगर था, जिसपर पूर्व राजा चंद्रहास राज्य करते थे। उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन इसके बाद मुगल साम्राज्य दौरान आक्रमण होने से मंदिर को तोड़ गिराया था। पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित होने के कारण फिलहाल इस विभाग की ओर से मंदिर का मरम्मत कार्य किया जा रहा है।
लगातार होता रहता है अभिषेक :
बताया जाता है कि इस शिवलिंग पर गलती नदी के झरने से लगातार अभिषेक होता रहता था, जिसके कारण इसका नाम गलतेश्वर महादेव पड़ा था। फिलहाल एक-डेढ़ वर्ष से झरना बंद कर दिया गया है। मही एवं गलती नदी के संगम स्थान पर यह मंदिर होने के कारण इसकी विशेष महिमा रही है। यहां नदी में स्नान करने के बाद भक्त भगवान के दर्शन करते हैं।
तीन वर्ष में पूर्ण होगा शिखर का निर्माण कार्य
पौराणिक एवं ऐतिहासिक इस मंदिर के विकास कार्य के लिए गुजरात यात्राधाम विकास बोर्ड की ओर से योजना शुरू की गई है। फिलहाल मंदिर पर शिखर का निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जो आगामी २-३ वर्षों में पूर्ण होगा। मंदिर से नदी में जाने के लिए घाट भी बनाया जाएगा। फिलहाल मंदिर संचालन कमेटी की ओर से आश्रम बनाया गया है।
-भरत महाराज-मंदिर के महंत।