अध्यक्षता करते हुए जिला पंचायत के अध्यक्ष धीरज पटेल ने कहा कि जीवसृष्टि का आधार प्रकृति पर है। पर्यावरण असंतुलन के कारण ही जीवसृष्टि को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी परिस्थिति से निपटने व पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण करना जरूरी है।इस मौके पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ए.पी. सिंह ने कहा कि वर्ष 1950 में कन्हैयालाल मुन्शी ने पहल करते हुए वन महोत्सव की शुरुआत की थी। पर्यावरण जागरुकता लाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़कर वन महोत्सव की शुरुआत की है। साबरकांठा जिले में 11 फीसदी वन आरक्षण है, जिसे बढ़ाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
प्रांतिज के विधायक गजेन्द्रसिंह परमार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ प्राकृतिक खेती भी अपनानी चाहिए। गुजरात ग्लोबल रिट्रीट सेन्टर की निदेशक नेहा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में वन महोत्सव के दौरान पर्यावरण क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए वन प्रेमियों, सखी मंडल की महिला कार्यकर्ताओं और वनकर्मियों को सम्मानित किया गया। गणमान्य लोगों ने पौधरोपण भी किया। साथ ही वृक्ष रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गय।