
IIT Gandhinagar research: शहरों को बाढ़ से बचाने को हरित अवसंरचना काफी नहीं, ये कदम भी जरूरी
भारत सहित दुनिया भर के कई बड़े शहरों ने शहरी बाढ़ के खतरे से निपटने को जिस ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर (जीआई) उपाय को अपनाया है वे मूसलाधार बारिश के दौरान शहरी बाढ़ और जल जमाव को कम करने में पूर्णत: सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में शहरों को उनके क्षेत्र के आधार पर विशिष्ट मॉडल एवं जल निकासी के बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ाने की जरूरत है।
यह तथ्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (आईआईटी गांधीनगर) की पीएचडी छात्रा अंगना बोराह और सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर उदित भाटिया, ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की प्रो.रोनिता बर्धन की संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में सामने आए हैं।
इस टीम ने बारिश के दौरान अहमदाबाद शहर के पश्चिमी क्षेत्र में बने बाढ़ से हालात को देखते हुए बाढ़ के एक दिन बाद वहां पहुंचकर सर्वे किया था। जिसमें पाया कि शहरी बाढ़ प्रबंधन के लिए अपनाए गए एक समान ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर उपाय के लाभ मामूली हैं। जिससे अत्यधिक बारिश के दौरान शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिए शहर में उसके स्थान-विशिष्ट मॉडल या ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर समाधान और पारंपरिक शहरी जल निकासी बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की जरूरत है। यह अध्ययन हाल ही में एल्सेवियर द्वारा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन में प्रकाशित किया गया है।
हाइड्रोडायनामिक मॉडल से सर्वे
अहमदाबाद मनपा के 55% क्षेत्र में बरसाती जल निकासी का बुनियादी ढांचा होने के बावजूद कुछ वर्षों में बारिश के कारण गंभीर बाढ़ की स्थिति बनी है। शहर के पश्चिमी क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ के बाद टीम ने हाइड्रोडायनामिक मॉडल से व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण किया। टीम ने बाढ़ के स्तर को मापने के लिए विभिन्न आवासीय क्षेत्रों, ओवरब्रिज के खंभों जैसे बुनियादी ढांचे की दीवारों पर बाढ़ के छोड़े गए निशान को मापा। मॉडल को प्रमाणित करने को उपग्रहों से उच्च-रिज़ॉल्यूशन रिमोट सेंसिंग डेटा को भी एकीकृत किया।
जीआई के प्रकार, बाढ़ प्रबंधन में प्रभावशीलता का अध्ययन
टीम ने अहमदाबाद में चार प्रकार के ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर( हरित अवसंरचना) की जांच की। 1-हरित छतें, 2-पारगम्य फुटपाथ, 3-जैव-प्रतिधारण कोशिकाएं, और 4-वनस्पति स्वेल्स का अध्ययन किया। ये इंजीनियरिंग संरचनाएं हैं, जिन्हें वनस्पति उगाने के उद्देश्य से मिट्टी की कई परतों के साथ डिज़ाइन किया जाता है, जो साथ ही बाढ़ के चरम और बाढ़ के विस्तार को कम करने के लिए आवश्यक रीटेन्शन, इनफ़िल्ट्रेशन, और वाष्पीकरण में भी सहायता करते है। टीम ने वर्षा जल अपवाह में कमी के कारकों, बाढ़ की सीमा और बाढ़ के चरम की गहराई के मेट्रिक्स के आधार पर इन ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर उपायों की प्रभावकारिता का मूल्यांकन और मात्रा निर्धारित की।
ग्रीन रूफ, फुटपाथ का नहीं दिखा प्रभाव
अध्ययन में सामने आया कि प्रति उप-जलग्रहण क्षेत्र में 24% उपयोग दर पर भी, ग्रीन रूफ और पारगम्य फुटपाथ जैसे ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के उपाय चरम प्रवाह पर प्रभाव नहीं दिखाते हैं। यह पहले के अध्ययनों के विपरीत है जो बाढ़ की मात्रा में 96% तक कमी का दावा करते हैं।
एक समान समाधान उपयुक्त नहीं
प्रो. उदित भाटिया ने कहा बढ़ते शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अद्वितीय चुनौतियों से निपटने को एक समान समाधान उपयुक्त नहीं हैं। यह अध्ययन स्थान-विशिष्ट मॉडल की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
शहरीकरण से चरमरा रही जल निकासी प्रणालियां
प्रो.भाटिया कहते हैं कि पारंपरिक जल निकासी प्रणालियां, जो कभी शहरी बाढ़ प्रबंधन की रीढ़ होती थीं, अक्सर चरमरा जाती हैं। यह अपर्याप्तता तीव्र और व्यापक शहरीकरण के चलते है। जिससे भूमि स्थला कृति बदल रही हैै, जिससे मौजूदा जल निकासी पैटर्न बाधित हो रहा है। जलवायु परिवर्तनशीलता से बढ़ता दबाव भी वजह है।
Published on:
05 Nov 2023 11:00 pm
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