राज्य सरकार ने यह निर्णय किया है कि इस फ्रूट के लिए ‘ड्रेगनÓ (dragon) शब्द अच्छा नहीं लगता। यह फू्रट कमल जैसा दिखता हैं। इसके चलते इस फ्रूट को संस्कृत शब्द (sanskrit) कमलम् नाम दिया जाएगा। राज्य सरकार ने इसके पेटन्ट के लिए आवेदन भी किया है। ड्रेगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस केकटस है। नारंगी, आम, पपीता (papaya), केला से ज्यादा यह फ्रुट फायदेमंद माना जाता है।
गौरतलब है कि अब गुजरात के भी किसानों अपनी आवक बढऩे के लिए नया तरीका अपनाया है। वे केला, पपीता जैसी फसलें कर रहे हैं तो ड्रेगन फ्रूट की भी पैदावार शुरू की है। कच्छ, वडोदरा, सूरत जैसे कई इलाकों में इन दिनों ड्रेगन फ्रूट की खेती होने लगी हैं। इसके जरिए किसानों को अच्छी कमाई भी हो रही है।
फ्रूट का नाम बदलना भाजपा का एक और पैंतरा उधर, मुख्यमंत्री की ओर से ड्रेगन फ्रूट का नाम बदलने की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी ने कहा कि चीन के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम भाजपा ‘ड्रेगन फ्रूटÓ का नाम बदलकर एक पैंतरा आजमा रही है। हकीकत में नाम बदलने के बजाय भाजपा सरकार अपनी नीतियां बदलनी चाहिए।