प्रभास पाटण. देश के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव के शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा विक्रम संवत 2007 में वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी। उस दिन उन्होंने 108 तीर्थ स्थानों व 7 सागर के जल से अभिषेक किया था। सोमनाथ महादेव के मंदिर का पुन:निर्माण सदी की बड़ी घटना के तौर पर इतिहास में अंकित की गई है।
प्राचीन युग से वर्तमान युग तक बार-बार आक्रमण, विसर्जन, सृजन, आस्था, पूर्व राजवियों व शहीदों के समर्पण एवं शिल्पकला के बेजोड़ नमूने समान यह शिवायल अरब सागर के समुद्र किनारे गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के प्रभास पाटण-सोमनाथ में स्थित है। 800 वर्ष बाद नागर शैली में निर्मित होने वाला यह प्रथम देवालय है। यह कैलाश महामेरू प्रासाद से भी प्रचलित है।
प्राचीन युग से वर्तमान युग तक बार-बार आक्रमण, विसर्जन, सृजन, आस्था, पूर्व राजवियों व शहीदों के समर्पण एवं शिल्पकला के बेजोड़ नमूने समान यह शिवायल अरब सागर के समुद्र किनारे गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के प्रभास पाटण-सोमनाथ में स्थित है। 800 वर्ष बाद नागर शैली में निर्मित होने वाला यह प्रथम देवालय है। यह कैलाश महामेरू प्रासाद से भी प्रचलित है।
सोमनाथ का शिवलिंग सभी शिवलिंगों में श्रेष्ठ देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री सह प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान से निर्र्मित यह शिवालय सात मंजिला है। मंदिर निर्माण के अधिकृत ग्रंथ दीपार्णव में उल्लेख है कि सोमनाथ का शिवलिंग सभी शिवलिंगों में श्रेष्ठ है। मंदिर का गर्भगृह स्वर्ण जडि़त है। द्वार व द्वार की शाखाएं व आगे के स्तंभ पर स्वर्ण चढ़ा है। मंदिर का नृत्य मंडप व सभा मंडप में स्थित स्वर्ण कलश यजमानों के अनुदान से स्वर्ण मंडित किए गए हैं।
72वें स्थापना दिवस पर सोमनाथ महादेव की विशेष महापूजा सोमनाथ महादेव के प्राण-प्रतिष्ठा के दिन विक्रम संवत 2007 वैशाख सुद पंचमी (11 मई 1951) पर 72वें स्थापना दिवस के अवसर पर सोमनाथ महादेव मंदिर में शुक्रवार को महापूजा की गई। मंदिर परिसर में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। मुख्य पुजारी विजय भट्ट व पुजारियों ने प्राण-प्रतिष्ठा के समय किए गए श्रृंगार की प्रतिकृति के तौर पर श्रृंगार किया। इस अवसर पर प्रभारी महा प्रबंधक व ट्रस्ट के कर्मचारी एवं स्थानीय पुरोहित मौजूद थे।
पहली बार सोमनाथ ट्रस्ट ने शुरू की ई-संकल्प पूजा, अब स्थायी सुविधा कोरोनाकाल के दौरान देशभर के मंदिर दर्शनार्थियों के प्रवेश व पूजा के लिए बंद थे, तब 5 मई 2020 को सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से ई-संकल्प पूजा की सुविधा की शुरुआत की गई। इस सुविधा के दो वर्ष पूरे हो चुके हैं और तीसरे वर्ष में प्रवेश के साथ ही अब यह सुविधा स्थायी तौर पर उपलब्ध कराने का निर्णय किया गया है। मंदिर में दर्शन के साथ पूजा का वर्चुअल लाभ दिलाने को ऑनलाइन पूजा का पंजीकरण कराने वाले भक्तों को सोशल मीडिया के जरिए सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से वीडियो कॉलिंग से जोड़ा जाता है। मंदिर में पूजा व ई-संकल्प करवाकर सोमनाथ से जोडऩे का प्रयास किया गया है।
ऐसे करते हैं ई-संकल्प पूजा ई-संकल्प पूजा के लिए सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से समय दिया जाता है और मंदिर में पूजा शुरू की जाती है। उस समय दूर-दराज व देश-विदेश के भक्त अपने घर पर निर्धारित पूजा सामग्री के साथ बैठकर वीडियो कॉलिंग के जरिए पूजा में शामिल होकर आशीर्वाद लेते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत केशू पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, फिल्म-संगीत व रंगमंच के कलाकार व गायक ई-संकल्प पूजा का लाभ ले चुके हैं।
अप्रेल में 4 लाख भक्तों ने किए दर्शन सोमनाथ ट्रस्ट के सचिव योगेंद्र देसाई व महा प्रबंधक विजयसिंह चावड़ा के निर्देशन में यात्री सुविधाओं में निरंतर वृद्धि की जा रही है। इसके चलते इस वर्ष अप्रेल महीने में 4,06,902 भक्तों ने सोमनाथ मंदिर में दर्शन किए। 2021 के अप्रेल महीने में 1 से 10 तारीख तक 80,036 भक्तों ने मंदिर में दर्शन् किए थे। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण 11 अप्रेल 2021 से 61 दिन तक मंदिर में दर्शनार्थियों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहा।