घटना से पहले प्राची अपने 17 साथी कलाकारों के साथ खंभात गई थी। रात 12 बजे कार्यक्रम पूरा होने पर सभी मिनी बस से खंभात से वडोदरा के लिए रवाना हो गए थे। इस बस में प्राची भी थी। रास्ते में आरोपी का फोन प्राची के साथी कलाकार वत्सल के पास आया और उसने वडोदरा पहुंचने की समय की जानकारी प्राप्त की। इसके बाद आरोपी रात के डेढ बजे जेतलपुर रोड पर प्राची की राह देखने के लिए खड़ा रहा। यहां प्राची अपने एक साथी अंकित के साथ मोटरसाइकिल पर सवार होकर घर जाने लगी। थोड़ी दूर तक पीछा करने के बाद आरोपी ने प्राची और अंकित की मोटरसाइकिल के सामने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद प्राची मोटरसाइकिल से नीचे उतर गई और अंकित चला गया। इसके बाद आरोपी ने प्राची की गला दबा कर हत्या कर दी। आरोपी शव को नंद सोसायटी चार रास्ते के पास सप्तवर्णी के पेड़ और दीवार के बीच फेंक कर भाग गया।
घटना की जानकारी मिलने पर प्राची की माता और बहन के साथ-साथ पुलिस भी घटना स्थल पर पहुंची। पुलिस ने आरोपी वसीम को अगले दिन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया। पुलिस ने घटना की जांच में कई अहम सबूत और गवाहों के बयान दर्ज किए।
33 गवाहों के बयान पेश किए शहर के इस चर्चित हत्याकांड में पीडि़त पक्ष को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार ने विशेष लोक अभियोजक के रूप में भरुच जिले के सरकारी वकील पी एन परमार की नियुक्ति की। परमार ने अदालत के समक्ष 33 गवाहों के बयान और 100 दस्तावेजी सबूत पेश किए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी एम उनडकट ने इसे मान्य रखते हुए आरोपी वसीम को आजीवन कैद की सजा सुनाई।