उनका कहना है कि कोरोना को मन पर सवार न होने दें। हर हालात में सचेत रहे हैं और सतर्कता बरतें। किसी भी हताशा के बगैर आत्मविश्वास के साथ उपचार कराएं और ईश्वर पर श्रद्धा रखें तो जरूर ही इस बीमारी से उबर सकेंगे। यूं कहा जाए कोरोना का सबसे बेहतर इलाज सचेत रहना है।
डॉ. सिद्धार्थ एक विडियो के जरिए कोरोना से लडऩे की कहानी बयां करते कहा कि हर रोज कभी 10, 15, 20, 30 से लेकर ४० तक मरीजों की जांच और उनका इलाज करते थे। शायद यह भी सभी को मालूम होगा को न्यूयॉर्क में कोरोना को लेकर स्थिति बेहतर नहीं है।
डॉ. सिद्धार्थ एक विडियो के जरिए कोरोना से लडऩे की कहानी बयां करते कहा कि हर रोज कभी 10, 15, 20, 30 से लेकर ४० तक मरीजों की जांच और उनका इलाज करते थे। शायद यह भी सभी को मालूम होगा को न्यूयॉर्क में कोरोना को लेकर स्थिति बेहतर नहीं है।
कोरोना के शंकास्पद और कोरोना पीडि़तों का उपचार करते-करते गले में खराश, बुखार, खांसी, सर्दी जैसे लक्षण नजर आने लगे। कभी चक्कर और शक्ति भी लगने लगे। सांस लेने में दिक्कत समेत लक्षण नजर आए। इसके चलते स्वास्थ्य जांच कराई तो कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आई। डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि कोरोना हो या घबराने की जरूरत नहीं है। हमने भी धैर्य और सकारात्मक मानसिकता और ईश्वर पर आस्था रखकर उपचार कराया। हमने एलोपैथी दवाइयों के साथ भारतीय औषधीय पदार्थों का सेवन किया। नींबू, संतरा का रस, अदरक और पुदीना वाली चाय, गरम पानी का सेवन किया। एलोपैथिक हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (hydroxi choloroquine)समेत एन्टीबायोटिक्स एवं भारतीय परम्परा के समन्वय से बेहतर परिणाम मिला। दो दिनों तक आराम किया। क्वोरंटाइन का पालन किया। इसके चलते ही स्वास्थ्य में लगातार सुधार हुआ और अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के दौरान दोस्तों का भी बेहतर सहयोग रहा। दोस्तों ने सोशल डिस्टन्स बनाकर मददगार बने। वे घर के दरवाजे पर अनाज, दूध, दवा और जूस रख जाते थे और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर हौसला बढ़ाते रहे। अब स्वस्थ होकर फिर से लोगों का इलाज करने में जुट गए हैं। डॉ. सिद्धार्थ का कहना है कि कोरोनामुक्त रहने और यदि कोरोना हो तो उससे स्वस्थ रहने के लिए सावधानी और सतर्कता ही बेहतर इलाज हैं। एक कहावत है कि सावधान व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है।अर्थाता लॉकडाउन का पालन करने , देशी उपचार करने और सभी तरीके से सतर्क रहकर कोरोना से बचा जा सकता है। कोरोना से उबरना कठिन नहीं है।
उनका यह भी कहना है कि यदि किसी कारणवश घर से बाहर निकलना भी हो तो लौटने के बाद तुरंत ही कपडे भिगो दे और उनके धो दें। स्नान करे। यह ध्यान रखना अनिवार्य है। डॉ. सिद्धार्थ वडोदरा के ईएनटी सर्जन डॉ. आरबी. भेंसानिया और गायिका फाल्गुनी की बहन के पुत्र हैं। डॉ. भेंसानिया कहते हैंं कि लगभग 30 फीसदी चिकित्सक भारतीय हैं जो उपचार में श्रद्धा, सकारात्मक,ध्यान और प्रार्थना कर कोरोना वॉरियर्स के तौर पर सेवा दे रहे हैं। इस चिकित्सक दम्पती की दो बेटियां हैं, जो दादा-दादी के पास वडोदरा में रहती हैं। यदि ये वहां होती तो माता-पिता के कोरोना पॉजिटिव से उनकी देखभाल में दिक्कत हो सकती थी।
उनका यह भी कहना है कि यदि किसी कारणवश घर से बाहर निकलना भी हो तो लौटने के बाद तुरंत ही कपडे भिगो दे और उनके धो दें। स्नान करे। यह ध्यान रखना अनिवार्य है। डॉ. सिद्धार्थ वडोदरा के ईएनटी सर्जन डॉ. आरबी. भेंसानिया और गायिका फाल्गुनी की बहन के पुत्र हैं। डॉ. भेंसानिया कहते हैंं कि लगभग 30 फीसदी चिकित्सक भारतीय हैं जो उपचार में श्रद्धा, सकारात्मक,ध्यान और प्रार्थना कर कोरोना वॉरियर्स के तौर पर सेवा दे रहे हैं। इस चिकित्सक दम्पती की दो बेटियां हैं, जो दादा-दादी के पास वडोदरा में रहती हैं। यदि ये वहां होती तो माता-पिता के कोरोना पॉजिटिव से उनकी देखभाल में दिक्कत हो सकती थी।