गुजरात सरकार का अहम निर्णय: विदेश से मेडिकल स्नातक होने वालों की कोरोना उपचार में ली जाएगी सेवा
अहमदाबाद. कोरोना महामारी के इस दौर में संक्रमण ने शहरों के बाद अब गांवों में तेजी से पैर पसारने शुरू किए हैं। जिससे शहरों के साथ-साथ अब गांवों में भी चिकित्सा सुविधाओं से लेकर प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारियों की कमी हो रही है। ऐसे में गुजरात सरकार ने एक अहम निर्णय किया है।
जिसके तहत विदेश के मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में मेडिकल की पढ़ाई करके स्नातक होने वाले विद्यार्थियों की भी कोरोना महामारी में सेवा ली जाएगी।
यूं तो विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद भारत में प्रेक्टिस करने के लिए ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा पास करनी होती है। लेकिन कोरोना महामारी के दौर में सरकार ने जिन स्नातकों का फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जामिनेशन (एफएमजीई) में पास होना अभी बाकी है, ऐसे फोरेन मेडिकल स्नातकों को भी राज्य में कोविड सहायक के तौर पर सेवा में लेने का निर्णय किया है। इतना ही नहीं जो विद्यार्थी एफएमजीई परीक्षा में बैठ चुके हैं, लेकिन उत्तीर्ण नहीं हुए हैं, फेल हो गए हैं वे भी कोविड सहायक के रूप में सेवा में जुड़ सकते हंै।
सरकार ऐसे फोरेन मेडिकल स्नातकों की 90 दिनों तक कोविड सहायक के रूप में सेवा लेगी। इस दौरान उन्हें प्रति महीने 15 हजार रुपए का मेहनताना भी दिया जाएगा। 90 दिनों के बाद उनकी ड्यूटी स्वत: रद्द हो जाएगी।
गुजरात के स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बाबत शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। जिसके तहत ऐसे फोरेन मेडिकल स्नातकों को सरकार की ओर से जिलों, मनपा, नपा में बनाए गए कोविड हॉस्पिटलों में कोविड सहायक के रूप में सेवारत किया जाएगा। इससे ग्रामीण स्तर पर प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारियों की कमी को पूरा करने में थोड़ी बहुत राहत मिलेगी।