पिता ने किया प्रेरित, पहली बार में ही साक्षात्कार में पास
राजस्थान के बीकानेर जिले के नापासर गांव की मूल निवासी गरिमा बताती हैं कि उनके परिवार में कोई सिविल सेवा में नहीं है। वे पहली हैं। उनके व्यवसायी पिता अशोक मूंदड़ा ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया। 2017 में 12वीं बोर्ड की परीक्षा 98.5 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉमर्स कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स किया। उसके बाद 2020 से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। वे कैंपस प्लेसमेंट में भी शामिल नहीं हुईं। अकाउंटेंसी मुख्य विषय रखते हुए पहले प्रयास में वे प्रिलिम परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। दूसरे प्रयास में मुख्य परीक्षा पास नहीं कर पाईं। उन्होंने सोचा था कि यह उनका तीसरा और अंतिम प्रयास होगा, लेकिन तैयारी अच्छी थी तो इस बार प्रिलिम, मुख्य परीक्षा में तो सफल हुई हीं, पहली ही बार में इंटरव्यू भी पास कर लिया। देश में 80 वीं रैंक मिली।
आईएएस की जगह आईएफएस बनने को देंगी प्राथमिकता
गरिमा बताती हैं कि उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चयनित होने के लिए ही तैयारी की थी। लेकिन पढ़ाई के दौरान उनकी विदेशी मामलों में रुचि बढ़ी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर से वे प्रभावित हैं। भारत जिस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को मजबूत कर रहा है। आगामी समय भारत का आने वाला है। ऐसे में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) का भविष्य उज्जवल होगा, जिससे वे आईएफएस अधिकारी बनने को प्राथमिकता देंगी।