सूत्रों के अनुसार भारतीय रेलवे में अहमदाबाद-मंडल आरपीएफ की ओर से यह पहल की जा रही है। इसका मकसद सिक्युरिटी ऑपरेशन में पारदर्शिता लाना है तो चलती ट्रेन में यात्रियों को सुरक्षा मुहैया कराना है। कभीकभार ट्रेन में एस्कोर्ट पार्टी पर भी सवाल उठते हैं ऐसे में ये कैमरे आरपीएफ जवानों पर लगने वाले आरोपों से भी निजात दिलाएंगे। बॉडी वॉर्न कैमरा 16 पिक्सल की क्षमता वाले हैं तो सेल्फ रिकॉर्डिंग हैं। नाइट विजन कैमरे भी लगा हैं ताकि यदि लाइट नहीं हो तो ऐसे स्थिति में भी रिकॉर्डिंग हो सकेंगी। फिलहाल अहमदाबाद मंडल के आरपीएफ जवानों पर इन कैमरे का ट्रायल भी हो चुका है, जिसके बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं।
राजधानी एक्सप्रेस में लगाया एस्कोर्टिंग मॉनिटरिंग सिस्टम
उधर, आरपीएफ- अहमदाबाद मंडल ने राजधानी एक्सप्रेस में रेडियो फ्रिकवेन्सी आइडेन्टीफिकेशन डिवाइस आधारित ट्रेन एस्कोर्टिंग मोनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है। इसके जरिए ट्रेन के प्रत्येक कोच में चिप लगाई गई है, जिसमें जिस जवान की ड्यूटी होती है उसे चिप के साथ मोबाइल एप के साथ स्कैन करना होता है। ट्रेन में दो-दो जवानों की ड्यूटी होती है। ये जवान कोच में कितनी बार गश्त लगाते हैं उसकी नजर अहमदाबाद मंडल के आरपीएफ मुख्यालय में अधिकारी रख सकते हैं।
ट्रेन में एस्कोर्टिंग पार्टी की ए और बी दो टीमें हैं, जिसमें प्रत्येक टीम में दो-दो जवानों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। जैसे कि ए टीम को एस-1 से एस-6 तो एस-7 से एस-12 तक बी टीम को गश्त लगानी होती है। इस तरीके से प्रत्येक टीम को ट्रेन के 6-6 कोचों में गश्त लगाना होता है। प्रथम कोच में गश्त प्रारंभ करने से पहले जवानों को कोच में लगी चिप के साथ मोबाइल एप से स्कैन करना होता है। इसके चलते उन जवानों के फोटो और समय तुरंत ही मुख्यालय में पहुंच जाते हैं। ऐसे ही छठे कोच में फिर से टीम चिप के साथ एप स्कैन करते हैं। प्रत्येक राउंड में यह प्रक्रिया जवानों को करनी होती है ताकि कोच में होने वाली गश्ती के बारे में जानकारी मिल जाए। ट्रेन में इस सिस्टम के अलावा सभी कोचों में छह-छह सीसीटीवी भी लगाए जा रहे हैं।