जिले की थराद तहसील के झेटा, मलुपुर, वजेगढ़ तथा पडदर सहित अनेक गांवों में खरवा-मोवासा रोग से अनेक पशुपालकों के पशुओं की मौत हुई है। इनमें से अधिकांश पशुपालक ऐसे हैं, जिनके परिवार का निर्वइन पशुओं के कारण होता था लेकिन पशुओं की मौत होने के कारण प्रभावित पशुपालकों का जीवन निर्वाह मुश्किल हो गया है।
इस संबंध में जमड़ा गांव के सरपंच ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई करवाने की मांग की है। थराद तहसील के गांवों में स्थिति गंभीर बनी हुई है तथा प्रतिदिन 20-25 पशुओं की मौत हो रही है। सुबह से शाम तक जेसीबी मशीनों से गड्ढे खोदकर पशुओं को दफनाया जा रहा है।जानकारी के अनुसार तहसील के गांंवों में अब तक करीब 500 पशुओं की मौत हो चुकी है और उन्हें दफनाया जा चुका है। झेटा गांव के सरपंच जीताभाई के अनुसार एक महीने से गांव में खरवा-मोवासा रोग फैला हुआ है, अभी तक नियंत्रण में नहीं आ पा रहा है। गांव में पशु चिकित्सकों की टीम आई है और पशुओं का उपचार किया गया है।
मलुपुर गांव के सरपंच ईश्वरभाई का कहना है कि गांव की स्थिति बहुत खराब है, प्रत्येक घर में एक-दो पशु बीमार हैं। अनेक पशुपालकों के 6 से 7 पशुओं की मौत हो चुकी है। पहले पशुपालक 50-50 लीटर दूध रोजाना डेयरी में भरवाते थे। पशुओं की मौत के कारण दूध उत्पादन में कमी आई है, अब मुश्किल से रोजाना 10 लीटर दूध भरवा रहे हैं। इस कारण दूध से प्राप्त होने वाली आवक बहुत कम हो रही है। सरपंचों व पशुपालकों का कहना है कि सरकार आवश्यक कदम उठाकर रोग को नियंत्रण में ले और पशुपालक परिवारों की सहायता करे।पशुपालन अधिकारी सी जे मजेठिया का कहना है कि झेटा गांव का दौरा किया हैै, जहां खरवा मोवासा रोग से पशुओं की मौत हो रही है। विभाग की टीम की ओर से पशुओं का टीकाकरण कार्य शुरू किया गया है। अन्य गांवों में टीमों की ओर से टीकाकरण किया जाएगा ताकि पशुओं की अकाल मौत हो रोका जा सके।