Ahmedabad : हृदय की दो नसों को बलून से खोला और अतिरिक्त धमनी को करना पड़ा बंद
अहमदाबाद. शहर के नरोडा रोड स्थित चामुंडा ब्रिज के निकट जीसीएस हॉस्पिटल में चिकित्सकों ने अनूठी सर्जरी कर एक महिला को नया जीवन दिया है। दावा किया गया है कि दुनिया में इस तरह की सर्जरी के बारे में न तो कहीं लिखा है और न ही कहीं सुना और देखा है।
दरअसल मरीज महिला हृदय संबंधित दुर्लभ बीमारी से पीडि़त थी। जिसमें महिला की सामान्य धमनियों के साथ-साथ एक अतिरिक्त धमनी थी, जिसमें से होकर जाने वाले रक्त के कारण हृदय प्रभावित हो रहा था। इसके अलावा महिला के हृदय की दो नसें अवरोधित भी थीं।
वलसाड निवासी 39 वर्षीय एक महिला को पहले से हड्डी संबंधित परेशानी थी। पिछले दो तीन माह से इस महिला के शरीर में काफी सूजन और कमजोरी थी। जिसे स्थानीय चिकित्सकों के पास ले जाया गया लेकिन उचित परिणाम नहीं मिले। पिछले दिनों उसे यहां जीसीएस अस्पताल में लाया गया। काफी जांच के बाद महिला को हृदय संबंधित बीमारी पाई गई।
अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. रूपेश सिंघल ने बताया कि मरीज का उपचार करने के लिए चिकित्सकों के सामने काफी चुनौती थी। एक साथ महिला के हृदय की दो नसों के अवरोध को खोलना और अतिरिक्त धमनी को बंद करना था। यह महिला काफी कमजोर होने के कारण उसकी ओपन सर्जरी नहीं की जा सकती थी। इसके बाद विशेष सर्जरी कर महिला को नया जीवन दिया। निजी अस्पतालों में इस सर्जरी का खर्च पांच लाख रुपए तक हो सकता था, लेकिन यहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत ऑपरेशन निशुल्क हुआ है।
विशेष पद्धति से की सर्जरी
अस्पताल के निदेशक डॉ. कीर्ती पटेल के नेतृत्व में हृदय विशेषज्ञों की टीम के डॉ. सिंघल के साथ अस्पताल के अन्य चिकित्सक डॉ. रूपेश सिंघल और डॉ. जीशम मंसूरी ने इस महिला का विशेष पद्धति से सर्जरी करने का निर्णय किया। चिकित्सकों के अनुसार अतिरिक्त धमनी से जाने वाले रक्त को छोटा चीरा लगाकर एम्पलात्जर वास्कुलर प्लग तकनीक से बंद किया गया। साथ ही हृदय की दो नसों में ब्लॉकेज को बलून रखकर खोला गया। जिसे एन्जियोप्लास्टी कहा जाता है। इन चिकित्सकों को कहना है कि महिला की 90 फीसदी नसें ब्लॉकेज होने के उसे अपने दैनिक कार्यों में भी परेशानी हो रही थी।
दुनिया में कहीं भी उल्लेख नहीं
एक साथ दो नसों के ब्लॉकेज खोलने और एक धमनी को बंद करने की सर्जरी का अभी तक कहीं भी उल्लेख नहीं है। न तो इस तरह की सर्जरी के बारे में कभी सुना है और न ही कहीं देखा है। जीसीएस के चिकित्सकों ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक किया है। जिसके बाद मरीज महिला की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। अब यह महिला अपने सभी दैनिक कार्यों को खुद कर लेती है।
-डॉ. योगेन्द्र मोदी, डीन जीसीएस मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद