‘जाली’ और ‘संस्कृत सूत्र वाक्य’ हमारी पहचान
प्राध्यापकों ने कहा कि लोगो में मौजूद सीदी सैयद की जाली और संस्कृत सूत्र वाक्य हमारी पहचान हैं। यह भारतीय लोकाचार को दर्शाते हैं। यह भारतीयता की पहचान हैं। हमारी विद्या और संस्थान से जुड़ाव को दर्शाता है। हमारे देश के लिए विकास, उद्यम, समाज, विद्यार्थी और प्रबंधन संकाय की विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। इसमें बदलाव हमारी पहचान पर प्रहार के समान है।
प्राध्यापकों ने कहा कि लोगो में मौजूद सीदी सैयद की जाली और संस्कृत सूत्र वाक्य हमारी पहचान हैं। यह भारतीय लोकाचार को दर्शाते हैं। यह भारतीयता की पहचान हैं। हमारी विद्या और संस्थान से जुड़ाव को दर्शाता है। हमारे देश के लिए विकास, उद्यम, समाज, विद्यार्थी और प्रबंधन संकाय की विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। इसमें बदलाव हमारी पहचान पर प्रहार के समान है।
आईआईएमए की पहचान पर पड़ेगा असर
प्राध्यापकों ने अपने पत्र में कहा कि लोगों में बदलाव और नए लोगों के चलते संस्थान की पहचान पर विपरीत असर पडऩे की आशंका जताई है। नए लोगो आईआईआई-ए की हैरिटेज, कोर पर्पज, कोर वैल्यू को नहीं दर्शाते हैं।
प्राध्यापकों ने अपने पत्र में कहा कि लोगों में बदलाव और नए लोगों के चलते संस्थान की पहचान पर विपरीत असर पडऩे की आशंका जताई है। नए लोगो आईआईआई-ए की हैरिटेज, कोर पर्पज, कोर वैल्यू को नहीं दर्शाते हैं।
आईआईएम-ए के पूर्व निदेशक ने भी जताई नाराजगी
आईआईएम-ए के पूर्व निदेशक प्रो.बकुल धोलकिया ने भी आईआईएम-ए के लोगो को बदलने की बात पर नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे गलत निर्णय बताया। इस लोग के जरिए ही संस्थान ने वैश्विक पहचान बनाई है। फैकल्टी काउंसिल से चर्चा नहीं की गई। यह गलत है। इसे वापस लेना चाहिए।
आईआईएम-ए के पूर्व निदेशक प्रो.बकुल धोलकिया ने भी आईआईएम-ए के लोगो को बदलने की बात पर नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे गलत निर्णय बताया। इस लोग के जरिए ही संस्थान ने वैश्विक पहचान बनाई है। फैकल्टी काउंसिल से चर्चा नहीं की गई। यह गलत है। इसे वापस लेना चाहिए।