दोनों के बीच थे दोस्ताना संबंध, झगड़े के बाद हत्या
क्राइम ब्रांच के उपायुक्त अजीत राज्यान ने बताया कि आरोपी रमेश देसाई ने पूछताछ में मनीष गुप्ता की हत्या करने का आरोप कबूला है। उसने बताया कि दोनों के बीच दोस्ताना (समलैंगिक) संबंध थे। मध्यप्रदेश के उज्जैन निवासी शिवनारायण उर्फ मनीष गुप्ता (34) और रमेश दोनों एक ही होटल में मैनेजर व वेटर के रूप में काम करते थे। होटल मैनेजमेंट की ओर से दिए गए मकान में दोनों साथ रहते थे। इनके साथ होटल का कैशियर हरीसिंह भी रहता था। 26 सितंबर 2010 के दिन दोपहर को मनीष मकान पर आया। उस समय रमेश वहां था। उसने रमेश के साथ शारीरिक छेड़छाड़ शुरू कर दी। सीने पर काट भी लिया। गुप्त भाग पर भी काट लिया, जिससे रमेशनाराज हो गया और उसकी व मनीष की कहासुनी हुई। इस दौरान बात बिगड़ गई। मनीष मकान में रखी ईंट लेकर आ गया और रमेश को मारने लगा इसी दौरान रमेश ने भी ईंट से मनीष के सिर पर वार किए जिससे उसकी मौत हो गई।
फिल्म दृश्यम की तरह छिपाया शव
आरोपी रमेश ने मृतक मनीष के शव से ज्यादातर कपड़े निकाल दिए। उसके चेेहरे पर प्लास्टर कर, कंबल में लपेटकर उसे रसोई घर के प्लेटफॉर्म के नीचे सिंक के पास छिपा दिया। वह दिखाई न दे इसके लिए रेती व सीमेंट से चिनाई कर दीवार बना दी। कुछ हुआ न हो ऐसा व्यवहार करते हुए काम पर चला गया। हीरा सिंह ने जब पूछा कि मनीष क्यों नहीं आया तो उसने कहा कि वह महेसाणा गया है। दूसरे दिन रसोई घर से मनीष का खून बहकर बाहर आ गया, यह देख रमेश ने हीरा को मालूम हो उससे पहले उसे पानी से साफ कर दिया। टंकी के पास रक्त देख हीरा ने पूछा तो कहा कि उसने गुटका खाया है उसका पानी है। दोनों वहां से फिर नौकरी पर गए और ज्यादा दुर्गंध आने लगी। जिससे रमेश रात्रि के समय मनीष का दुपहिया वाहन लेकर वहां से फरार हो गया। पहले यह सुरेन्द्रनगर गया। वहां दूधरेज में वडवाला धाम मंदिर में रुका। वहां मोबाइल फोन बेच दिया। वहां से अपने मूल गांव मांडला गया तो पता चला कि पुलिस उसे ढूंढ रही है, जिससे वह वहां से भाग गया।
भीलवाड़ा में 8 साल रुका, नाम भी बदला, कर ली शादी
आरोपी वहां से भागकर राजस्थान चला गया। जहां यह भीलवाडा में गुर्जर मोहल्ला खाल्सो का खेरा असींद निवासी राज नारण गुर्जर बनकर रहने लगा। इसने इसी नाम से अपना आधारकार्ड, पैनकार्ड बनवाया। एलआईसी की पॉलिसी ले ली। 2021 में इसने विवाह भी कर लिया था। यह ड्राइवपर, क्लीनर का काम करता। कभी कभी गांव जाने का कहकर मुंबई में होटलों में वेटर का काम करता था। 2017 तक यह भीलवाडा में रहा। अभी दो तीन साल से मुंबई में होटल में वेटर की नौकरी कर रहा था। इसके मुंबई से राजस्थान जाने की सूचना पर इसे अहमदाबाद से गुजरते समय धर दबोचा। पहले तो इसने खुद को राज गुर्जर बताया लेकिन गुजराती लहजे के चलते वह पकड़ा गया।