ननिहाल में भी रथयात्रा से पूर्व सूने रहे थे मार्ग
शहर का सरसपुर क्षेत्र रथयात्रा के मामले में ननिहाल के रूप में प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में रथयात्रा आती है तो लगभग डेढ़ लाख लोग एकत्र हो जाते थे। इतना ही नहीं इन सभी लोगों को भोजन के रूप में प्रसाद की भी व्यवस्था यहीं की पोल और शेरियों में की जाती रही है। परंपरागत रूप से रथों को लगभग एक से डेढ़ घंटे ठहराया भी जाता था। उस दौरान मामेरा समेत कई रस्में अदा की जाती हैं। लेकिन इस बार कप्र्यू के कारण पहले से ही सूने पड़े मार्गों पर होकर रथों को निकाला गया। ननिहाल में कुछ मिनट ही रथों को ठहराने के बाद यहां से निज मंदिर के लिए प्रस्थान करवा दिया। हालांकि यह जरूर है कि इस बार श्रद्धालुओं की यह कमी सुरक्षा जवानों ने पूरी कर दी थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जगह सुरक्षा जवान रथों के इर्दगिर्द रहे। भगवान के दर्शनों के इच्छुक श्रद्धालुओं ने इस बार जमकर कोरोना को कोसा।
शहर का सरसपुर क्षेत्र रथयात्रा के मामले में ननिहाल के रूप में प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में रथयात्रा आती है तो लगभग डेढ़ लाख लोग एकत्र हो जाते थे। इतना ही नहीं इन सभी लोगों को भोजन के रूप में प्रसाद की भी व्यवस्था यहीं की पोल और शेरियों में की जाती रही है। परंपरागत रूप से रथों को लगभग एक से डेढ़ घंटे ठहराया भी जाता था। उस दौरान मामेरा समेत कई रस्में अदा की जाती हैं। लेकिन इस बार कप्र्यू के कारण पहले से ही सूने पड़े मार्गों पर होकर रथों को निकाला गया। ननिहाल में कुछ मिनट ही रथों को ठहराने के बाद यहां से निज मंदिर के लिए प्रस्थान करवा दिया। हालांकि यह जरूर है कि इस बार श्रद्धालुओं की यह कमी सुरक्षा जवानों ने पूरी कर दी थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जगह सुरक्षा जवान रथों के इर्दगिर्द रहे। भगवान के दर्शनों के इच्छुक श्रद्धालुओं ने इस बार जमकर कोरोना को कोसा।