अपार समर्थन और संभागिता यात्रा के दौरान बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, योग गुरु बाबा रामदेव, आध्यात्मिक संत श्रीश्री रविशंकर, स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी निरंजनानन्द, मौलाना अरशद मदनी आदि धर्मगुरुओं ने आचार्य महाश्रमण से मिलकर उनके जनकल्याणकारी अभियान के प्रति समर्थन प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति मरहूम एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणव मुखर्जी, प्रतिभा पाटिल, नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी, प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, पूर्व राष्ट्रपति रामवरण यादव, पूर्व प्रधानमंत्री सुशील कोइराला, आरएसएस के मोहन भागवत, सुरेश भैय्याजी जोशी, भाजपा नेता अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, पीयूष गोयल, राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पी. चिदंबरम आदि भी आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में पहुंचे और समाजोत्थान के महत्त्वपूर्ण कार्यों में अपनी भी संभागिता दर्ज कराई। इनके अलावा नीतिशकुमार, अशोक गहलोत, नवीन पटनायक, सर्वानंद सोनोवाल, ममता बनर्जी, बी.एस. येद्दियुरप्पा, पलानीसामी, अरविन्द केजरीवाल आदि कई मुख्यमंत्रियों व राज्यपालों सहित विशिष्ट लोगों ने भी अहिंसा यात्रा में अपनी सहभागिता की।
आचार्य महाश्रमण पदयात्रा के दौरान प्रतिदिन 15-20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। जैन साधु की कठोर दिनचर्या का पालन और प्रात: चार बजे उठकर घंटों तक जप-ध्यान की साधना में लीन रहने वाले आचार्य प्रतिदिन प्रवचन के माध्यम से भी जनता को संबोधित करते हैं। इसके साथ-साथ उनके सान्निध्य में सर्वधर्म सम्मेलनों, प्रबुद्ध वर्ग सहित विभिन्न वर्गों की संगोष्ठियों आदि का आयोजन होता है। पदयात्रा में आचार्य महाश्रमण के साहित्य सृजन का क्रम भी निरन्तर चलता रहता है। उनके नेतृत्व में 750 से अधिक साधु-साध्वियां और हजारों कार्यकर्ता भी देश-विदेश में समाजोत्थान के महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न हैं।
आचार्य महाश्रमण पदयात्रा के दौरान प्रतिदिन 15-20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। जैन साधु की कठोर दिनचर्या का पालन और प्रात: चार बजे उठकर घंटों तक जप-ध्यान की साधना में लीन रहने वाले आचार्य प्रतिदिन प्रवचन के माध्यम से भी जनता को संबोधित करते हैं। इसके साथ-साथ उनके सान्निध्य में सर्वधर्म सम्मेलनों, प्रबुद्ध वर्ग सहित विभिन्न वर्गों की संगोष्ठियों आदि का आयोजन होता है। पदयात्रा में आचार्य महाश्रमण के साहित्य सृजन का क्रम भी निरन्तर चलता रहता है। उनके नेतृत्व में 750 से अधिक साधु-साध्वियां और हजारों कार्यकर्ता भी देश-विदेश में समाजोत्थान के महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न हैं।