गुजरात सरकार ने मंगलवार को राज्य की पंचायतों व स्थानीय निकायों के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है। गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल ने कहा कि प्रदेश भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने ओबीसी समाज के हित में अहम निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में 52 फीसदी आबादी ओबीसी समुदाय की है। इसमें राज्य की करीब 146 विभिन्न जातियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा के 50 विधायक ओबीसी समुदाय से हैं। ओबीसी समाज को हमेशा साथ लेकर भाजपा लेकर चली है। एसटी, एसटी समाज के आरक्षण व हित को नुकसान न हो उसका ध्यान रखते हुए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय हुआ है। यह निर्णय विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होगा। पाटिल ने कहा कि 9 जिला और 60 तहसीलों में जहां आदिवासी समुदाय की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है ऐसे अधिसूचित इलाकों में ओबीसी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण ही लागू रहेगा। यह ऐसे क्षेत्र हैं जहां पेसा एक्ट लागू है।
झवेरी आयोग की सिफारिशें स्वीकारीं गुजरात सरकार ने पंचायतों और स्थानीय निकाय में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए जुलाई 2022 में सेवानिवृत्त न्यायाधीश के एस झवेरी की अगुवाई में एक आयोग का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद गठित आयोग ने इस वर्ष की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल काे सौंप दी थी।
कांग्रेस ने भरी थी हुंकार स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस के नेता अमित चावड़ा ने पिछले दिनों ओबीसी आरक्षण बचाओ समिति के बैनर तले गांधीनगर में हुंकार भरी थी। इसके बाद से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि राज्य सरकार कोई बड़ा फैसला ले सकती है। चाव़ड़ा सहित कांग्रेस नेता इसके लिए पिछले कई सालों से इसे लेकर सरकार से सवाल कर रहे थे।