जीवनशैली में करें परिवर्तन
पाइल्स रोग विशेषज्ञ डॉ. सफुल ने बताया कि आज जीवनशैली बदलती जा रही है, जिसमें लोगों द्वारा खाने पीने का कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है। सुबह का नाश्ता दोपहर में, दोपहर का खाना शाम को और शाम का खाना रात को खा रहे हैं और सुबह से ये रुटीन फिर चालू हो जाता है। ऐसे मेंं खाना पचने का समय नहीं मिलता है, जिससे कब्ज की शिकायत बढ़ जाती है। इससे 30 से 35 साल की उम्र में ही पाइल्स की समस्या होने लगती है। इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेने पर या संकोचवश डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए मरीज नहीं पहुंचते हैं, जिससे यह समस्या और भी बढ़ जाती है।
असहनीय होता है दर्द
इस बीमारी से पीड़ित मरीज को सुबह फ्रेश (शौच जाने) होने के साथ रक्तस्राव और असहनीय दर्द होता है। इससे लोगों का काम भी प्रभावित हो रहा है। सर्जन डॉ. सफुल ने बताया कि 20 से 50 साल की उम्र में पाइल्स की समस्या बढ़ी है। एक अनुमान के तहत 50 साल की उम्र के हर दूसरे व्यक्ति को पाइल्स की समस्या है। ग्रेड वन के मरीजों में दवा और इंजेक्शन से इलाज संभव है। इसके लिए मरीज को हॉस्पिटल से दो घंटे बाद छुट्टी दे दी जाती है। पाइल्स के ग्रेड तीन और चार के मरीजों में ऑपरेशन किया जाता है।
ऑपरेशन के बाद भी रहें सावधान
आॅपरेशन के बाद भी सावधान रहने की जरूरत है। रोजाना 12 से 14 गिलास पानी पीएं। दिन में आधा किलो फल खाएं, इसमें पपीता, सेब और जामुन को शामिल करें बाजार का खाना और फास्ट फूड का सेवन करने से बचें। बैठने का काम है, तो हर दो घंटे बाद टहलें। टाइट कपड़े ना पहने। कई घंटे खड़े रहने पर भी पाइल्स की आशंका बढ़ जाती है। कब्ज ना होने दें, ज्यादा देर तक शौचालय में ना बैठें।
घास से नहीं मिलता आराम
इस बीमारी में घास, फूस से आराम नहीं मिलता है। लोग बहकावे में आकर देशी घास फूस का जमकर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इससे पाइल्स की बीमारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस बीमारी से तब तक नहीं आराम मिल सकता है, जब तक आपका पेट बिलकुल सही नहीं रहता।
इस बीमारी में घास, फूस से आराम नहीं मिलता है। लोग बहकावे में आकर देशी घास फूस का जमकर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इससे पाइल्स की बीमारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस बीमारी से तब तक नहीं आराम मिल सकता है, जब तक आपका पेट बिलकुल सही नहीं रहता।