ये भी पढ़ें – भारत को मधुमेह की राजधानी न बनने देंगे, हृदयाघात से मौतें रोकेंगे इसलिए अंग्रेजी के पीछे भाग रहे युवा
हम सब वहीं हिंदी के मूलभाषी, जहां हमारी हिंदी मातृभाषा है। उससे धीरे धीरे कट रहे हैं। क्योंकि अभी तक हमने ये जानने का प्रयास ही नहीं किया है, कि मातृभाषा का किसी व्यक्ति के जीवन में क्या स्थान होता है। मातृभाषा को छोड़कर आप किसी भी अन्यभाषा के पीछे भाग लीजिए, वह आपकी भाषा नहीं है और यही कारण है कि नव युवक अंग्रेजी का सहारा लेकर तो जाते हैं, लेकिन जिन देशों में अंग्रेजी को अपनी वैशाखी बनाकर ले जाते हैं, वह भी छूट जाती है, वो ना हिंदी सीखते हैं और ना अंग्रेजी सीखते हैं, आजकल एक नई भाषा का जन्म हुआ है, जिसे खिचड़ी भाषा कहते हैं।
हम सब वहीं हिंदी के मूलभाषी, जहां हमारी हिंदी मातृभाषा है। उससे धीरे धीरे कट रहे हैं। क्योंकि अभी तक हमने ये जानने का प्रयास ही नहीं किया है, कि मातृभाषा का किसी व्यक्ति के जीवन में क्या स्थान होता है। मातृभाषा को छोड़कर आप किसी भी अन्यभाषा के पीछे भाग लीजिए, वह आपकी भाषा नहीं है और यही कारण है कि नव युवक अंग्रेजी का सहारा लेकर तो जाते हैं, लेकिन जिन देशों में अंग्रेजी को अपनी वैशाखी बनाकर ले जाते हैं, वह भी छूट जाती है, वो ना हिंदी सीखते हैं और ना अंग्रेजी सीखते हैं, आजकल एक नई भाषा का जन्म हुआ है, जिसे खिचड़ी भाषा कहते हैं।
ये भी पढ़ें – मधुमेह की आ गई है नई दवा, अब गुर्दा खराब होने का डर नहीं कोई दो उदाहरण भी नहीं उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे कोई दो उदाहरण भी नहीं है, जहां कोई दो वाक्य शुद्ध हिंदी के बोल सके। हर वाक्य में चार से पांच शब्द अंग्रेजी के हाते हैं। क्योंकि उसे कभी ये नहीं सिखाया गया, कि जिस भाषा पर भी अधिकार रखें, कि एक भाषा पर आपकी पूरी तरह कमांड होनी चाहिए। हमारे अध्यापक जिस भाषा को बोलेंगे, छात्र वही भाषा ग्रहण करता है। अफसोस की बात ये है कि जब इन छात्रों की कॉपियां जांच करने के लिए आती है, तो किसी एक पेज में यदि 100 शब्द लिखे गए हैं, तो उसमें से 75 शब्द अंग्रेजी के होते हैं।
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जानकारी का अभाव बड़ा कारण
उन्होंने बताया कि हिंदी के विषय में जानकारी का अभाव बड़ा कारण है। वे नहीं जानते कि आज हिंदी का स्तर कितना उंचा हो गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक हमने हिंदी को व्यवसाय के रूप में अपनाया है, अभी तक हमने हिंदी को अपनी सांस्कृतिक ख्याति के रूप में नहीं अपनाया है।
जानकारी का अभाव बड़ा कारण
उन्होंने बताया कि हिंदी के विषय में जानकारी का अभाव बड़ा कारण है। वे नहीं जानते कि आज हिंदी का स्तर कितना उंचा हो गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक हमने हिंदी को व्यवसाय के रूप में अपनाया है, अभी तक हमने हिंदी को अपनी सांस्कृतिक ख्याति के रूप में नहीं अपनाया है।