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शहर में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब तक 22 लाख वाहन पंजीकृत हो गए हैं और यह सिलसिला जारी है। सड़कों पर वाहनों का घनत्व बढ़ गया है। उनके इंजन से निकलने वाला हांनिकारक धुआं न सिर्फ वायुमंडल में फैल रहा है, बल्कि सांसों के साथ घुलकर शरीर खोखले कर रहा है। यही नहीं शहर में दो लाख खटारा वाहन फर्राटा भर रहे हैं। उनका रजिस्ट्रेशन कई साल पहले समाप्त हो चुका है। संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय (आरटीओ) की सख्ती के बावजूद कोई असर नहीं हो रहा है।
शहर में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब तक 22 लाख वाहन पंजीकृत हो गए हैं और यह सिलसिला जारी है। सड़कों पर वाहनों का घनत्व बढ़ गया है। उनके इंजन से निकलने वाला हांनिकारक धुआं न सिर्फ वायुमंडल में फैल रहा है, बल्कि सांसों के साथ घुलकर शरीर खोखले कर रहा है। यही नहीं शहर में दो लाख खटारा वाहन फर्राटा भर रहे हैं। उनका रजिस्ट्रेशन कई साल पहले समाप्त हो चुका है। संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय (आरटीओ) की सख्ती के बावजूद कोई असर नहीं हो रहा है।
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इतना ही नहीं ट्रैफिक सिस्टम भी प्रदूषण के लिये बड़ा जिम्मेदार है। इतने अधिक वाहनों की संख्या और अव्यवस्थित टै्रफिक सिस्टम से प्रमुख चौराहों और मुख्य मार्गो पर जाम लगता है। एमजी रोड, भगवान टॉकीज, कलक्ट्रेट, बोदला, सिकंदरा फ्लाईओवर आदि जगहों पर रोजाना जाम लगता है। जाम के दौरान एक साथ इंजन के चालू रहने से वाहनों से निकलता धुआं प्रदूषण बढ़ाता है।
इतना ही नहीं ट्रैफिक सिस्टम भी प्रदूषण के लिये बड़ा जिम्मेदार है। इतने अधिक वाहनों की संख्या और अव्यवस्थित टै्रफिक सिस्टम से प्रमुख चौराहों और मुख्य मार्गो पर जाम लगता है। एमजी रोड, भगवान टॉकीज, कलक्ट्रेट, बोदला, सिकंदरा फ्लाईओवर आदि जगहों पर रोजाना जाम लगता है। जाम के दौरान एक साथ इंजन के चालू रहने से वाहनों से निकलता धुआं प्रदूषण बढ़ाता है।
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इतना ही नहीं टीटीजेड के अंतर्गत सख्त आदेश हैं कि लूट मिट्टी कहीं भी छोड़ी न जाये, ऐसे में आगरा की बात करें, तो यहां निर्माण कार्य स्थलों से उड़ती धूल के कण हवा में घुल रहे हैं। ये सांस के जरिये मानव शरीर में पहुंचकर उन्हें खोखला ही नहीं कर रहे, बल्कि ताजमहल को भी हांनि पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा यदि हम बात करें, तो सूखी यमुना भी बड़ा कारण बन चुकी है। शहर के बीचो बीच से गुजरती सूखी यमुना की रेती, शहर के वायुमंडल को प्रदूषित करने का काम कर रही है।
इतना ही नहीं टीटीजेड के अंतर्गत सख्त आदेश हैं कि लूट मिट्टी कहीं भी छोड़ी न जाये, ऐसे में आगरा की बात करें, तो यहां निर्माण कार्य स्थलों से उड़ती धूल के कण हवा में घुल रहे हैं। ये सांस के जरिये मानव शरीर में पहुंचकर उन्हें खोखला ही नहीं कर रहे, बल्कि ताजमहल को भी हांनि पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा यदि हम बात करें, तो सूखी यमुना भी बड़ा कारण बन चुकी है। शहर के बीचो बीच से गुजरती सूखी यमुना की रेती, शहर के वायुमंडल को प्रदूषित करने का काम कर रही है।
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1. वायु प्रदूषण रोकने में वृक्षों का सबसे बड़ा योगदान है। पौधे वायुमण्डलीय कार्बन डाइ ऑक्साइड अवशोषित कर हमें प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इसलिये सड़कों, नहर पटरियों तथा रेल लाइन के किनारे तथा उपलब्ध रिक्त भू-भाग पर व्यापक रूप से वृक्ष लगाए जाने चाहिए, ताकि हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ वायुमण्डल भी शुद्ध हो सके।
1. वायु प्रदूषण रोकने में वृक्षों का सबसे बड़ा योगदान है। पौधे वायुमण्डलीय कार्बन डाइ ऑक्साइड अवशोषित कर हमें प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इसलिये सड़कों, नहर पटरियों तथा रेल लाइन के किनारे तथा उपलब्ध रिक्त भू-भाग पर व्यापक रूप से वृक्ष लगाए जाने चाहिए, ताकि हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ वायुमण्डल भी शुद्ध हो सके।
2. औद्योगिक इकाइयों को प्रयास करना चाहिए कि वायुमण्डल में फैलने वाली घातक गैसों की मात्रा निर्धारित मानकों के अनुसार रखें, जिसके लिये प्रत्येक उद्योग में वायु शुद्धिकरण यंत्र अवश्य लगाए जाएं। 3. उद्योगों में चिमनियों की ऊंचाई पर्याप्त होनी चाहिए ताकि आस-पास कम से कम प्रदूषण हो।
4. पेट्रोल कारों में कैटेलिटिक कनवर्टर लगाने से वायु प्रदूषण को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। इस प्रकार की कारों में सीसा रहित पेट्रोल का प्रयोग किया जाना चाहिये। 5. घरों में धुआं रहित ईंधनों को बढ़ावा देना चाहिये।