कुशगवां अहीरान गांव निवासी किसान हाकिम सिंह के पुत्र संदीप के चचेरे भाई डॉ. योगेश यादव राजपाल के करीबी दोस्त हैं। कुछ सालों पहले जब जब इटावा में पं. देव प्रभाकर शास्त्री का प्रोग्राम हुआ था, तब राजपाल यादव कई दिनों तक यहां रहे थे। इसी दौरान उनकी जान पहचान संदीप के घरवालों से हुई थी। तब से राजपाल का संदीप के घर आना जाना लगा रहता था। धीरे—धीरे उनका संदीप के घर से गहरा नाता हो गया। तभी राजपाल ने संदीप को अपनी बेटी ज्योति के लिए पसंद किया और दोनों का विवाह तय कर दिया।
इसलिए पैतृक गांव से की शादी
पहली पत्नी के निधन के बाद ज्योति करीब 15 सालों तक अपने पैतृक गांव कुंडरा में रही। कुछ वर्षों से वो अपने पिता के साथ मुंबई में रह रही थी। आपको बता दें राजपाल आज भी अपने गांव से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। उनके परिवार में आज भी किसानी का काम होता है। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी की शादी पैतृक गांव से की।
मुंबई से बनवाया डिजाइनर लहंगा, आगरा से शॉपिंग
ज्योति की शादी का लहंगा ससुराल वालों ने मुंबई के डिजाइनर से तैयार कराया था। वहीं शादी की ज्यादातर शॉपिंग आगरा से की गई थी।