ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि शासक का काम प्रजा की रक्षा करना होता है, जिसने 22 वर्ष की इतनी कड़ी मेहनत की, कोई भी शासक कभी भी उसके साथ इतनी बर्बरता नहीें कर सकता। उन्होंने बताया कि ताजमहल बनने के बाद शाहजहां ने उन मजदूरों को पुरस्कृत किया था। उन्हें कपड़े, तोहफे आदि देकर कहा था कि अब आप हमारे मेहमान हैं, हम जीवनभर आपके रहने, खानेपीने आदि की मुफ्त व्यवस्था करेंगे। लेकिन अब आप किसी दूसरे के लिए ताजमहल नहीं बनाएंगे। शाहजहां के इस फैसले से मजदूर काफी खुश हुए थे।
ताहिरुद्दीन ताहिर ने बताया कि शाहजहां की हाथ कटवाने वाली बात पूरी तरह गलत है। दरअसल शाहजहां ने एक एग्रीमेंट करवाया था। इस एग्रीमेंट के तहत उन्होंने मजदूरों से अंगूठा लगवा लिया था कि वे कहीं और ताजमहल कभी नहीं बनाएंगे। इसके बाद जब भी किसी ने उन मजदूरों से ताजमहल बनाने की बात कही तो उन्होंने कहा कि हमारे तो हाथ कटे हुए हैं। यानी अब हम दोबारा ऐसा कुछ नहीं कर सकते। तब से इसे एक मुहावरा सा बना लिया गया। इस एग्रीमेंट को एग्रीमेंट हैंडकट के नाम से जाना जाता है।
जब उनसे पूछा गया कि आप कैसे मानते हैं कि यही हकीकत है तो उन्होंने कहा कि आज तक कहीं भी उन मजदूरों की पीढ़ियों का भी कोई शख्स नहीं मिला, जिसने बोला हो कि उसके खानदान में किसी के हाथ कटवाए गए थे। न ही इस तरह के कोई साक्ष्य सामने आए हैं। यदि ऐसा होता तो कुछ न कुछ जरूर सामने आता। उनका कहना है कि शाहजहांनामा, अकबरनामा और द ग्रेट मुगल जैसी किताबों में एग्रीमेंट हैंडकट का पूरा जिक्र किया गया है।