आगरा

पापों का अंत करने का दिन है, कुम्भ के बराबर मिलता है पुण्य, जानिए त्रिपुरी पूर्णिमा का महत्व

वृन्दावन और पूरे बृज क्षेत्र में इस कार्तिक मास पर देश विदेश से श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है और यहाँ पर पूरे माह दीपोत्सव पर्व का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है।

आगराNov 22, 2018 / 10:39 am

अभिषेक सक्सेना

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आगरा। प्राचीन पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस कार्तिक माह की पूर्णिमा को गंगा स्नान, दान और व्रत करते हैं, उनके पापों का अन्त हो जाता है ऐसी वैदिक प्राचीन वैदिक हिन्दू शास्त्रों में मान्यता है, यही कारण है कि वृन्दावन और पूरे बृज क्षेत्र में इस कार्तिक मास पर देश विदेश से श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है और यहां पर पूरे माह दीपोत्सव पर्व का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। वैदिक सूत्रम चेयरमैन और पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वृन्दावन के इस्कॉन मन्दिर में तो यह दीपोत्सव पर्व पर शरद पूर्णिमा से आरम्भ होकर कार्तिक माह की पूर्णिमा पर इसका समापन होता है, पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस दीपोत्सव पर्व में भाग लेने के लिए इस्कोन के भक्त देश विदेश से आते हैं और पूरे माह वृंदावन में रहते हैं और बृज क्षेत्र के सभी मंदिरों में दर्शन करते हैं और युमना में स्नान कर इस कार्तिक मास के पुण्य का लाभ उठाते हैं।
कार्तिक मास का महत्व
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि कार्तिक माह बहुत ही पवित्र माना जाता है। भारत के सभी तीर्थों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति इस माह में मिलती है और इस माह में की पूजा तथा व्रत से ही तीर्थयात्रा के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति हो जाती है। पंडित प्रमोद गौतम ने इस कार्तिक माह के प्राचीन महत्व के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि इस कार्तिक मास का महत्व स्कन्द पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कार्तिक माह में किए गए स्नान का फल, एक हजार बार किए गंगा स्नान के समान, सौ बार माघ स्नान के समान होता है इसलिए कार्तिक माह की पूर्णिमा पर गंगा या किसी पवित्र में स्नान का विशेष महत्व है। इस बार कार्तिक मास की पूर्णिमा 23 नवम्बर 2018 को शुक्रवार को सुबह 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगी।
कुम्भ के समान फल
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैशाख माह में नर्मदा नदी पर करोड़ बार स्नान के समान फल होता है, और जो फल कुम्भ में प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है, वही फल कार्तिक माह में किसी पवित्र नदी के तट पर स्नान करने से मिलता है। इस कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए और व्रत रखना चाहिए अगर सम्भव हो तो भोजन दिन में एक समय ही करना चाहिए जो श्रदालु व्रत आदि करने में असमर्थ हों वह एक प्रहर ही भोजन कर सकते हैं। पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि जो व्यक्ति कार्तिक के पवित्र माह के नियमों का पालन करते हैं, वह वर्ष भर के सभी पापों से मुक्ति पाते हैं।
दीपोत्सव पर्व के समापन का दिन
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि कार्तिक माह की पूर्णिमा अर्थात दीपोत्सव पर्व के समापन के दिन, दान का विशेष महत्व माना गया है। पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि त्रिदेवों ने इस दिन को महापुनीत पर्व कहा है। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा कृत्तिका नक्षत्र में स्थित हो और सूर्य विशाखा नक्षत्र में स्थित हो तब “पद्म योग” बनता है। इस योग का अपना विशेष महत्व है।

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