यमुना नदी किनारे बसे आगरा में फतेहपुर सीकरी खास
उत्तर प्रदेश का आगरा जिला टूरिस्ट स्पॉट से भरा है। यमुना नदी के किनारे बसे इस शहर में कई प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल हैं। वैसे तो घूमने के लिए आगरा में कई स्थान हैं, लेकिन इनमें से खास है फतेहपुर सीकरी। कभी ये मुगलों की राजधानी हुआ करती थी। फतेहपुर सीकरी स्थित 400 साल से अधिक पुराने बुलंद दरवाजे को दूर-दूर से पर्यटक देखने आते हैं। इसके अलावा आगरा में घूमने के लिए ताजमहल, आगरा किला, मेहताब बाग, आगरा पंचमहल, अकबर मकबरा, मोती मस्जिद और एत्माद उद दौला मकबरा समेत अन्य कई स्थल हैं।
उत्तर प्रदेश का आगरा जिला टूरिस्ट स्पॉट से भरा है। यमुना नदी के किनारे बसे इस शहर में कई प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल हैं। वैसे तो घूमने के लिए आगरा में कई स्थान हैं, लेकिन इनमें से खास है फतेहपुर सीकरी। कभी ये मुगलों की राजधानी हुआ करती थी। फतेहपुर सीकरी स्थित 400 साल से अधिक पुराने बुलंद दरवाजे को दूर-दूर से पर्यटक देखने आते हैं। इसके अलावा आगरा में घूमने के लिए ताजमहल, आगरा किला, मेहताब बाग, आगरा पंचमहल, अकबर मकबरा, मोती मस्जिद और एत्माद उद दौला मकबरा समेत अन्य कई स्थल हैं।
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मुगल सम्राट बादशाह अकबर ने कराया था निर्माणआगरा के बुलंद दरवाजे का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने करवाया था। उन्होंने गुजरात पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में 1602 ईस्वी में करवाया था। इसे बनाने में मजदूरों को 12 साल का समय लगा था। बुलंद दरवाजे की ऊंचाई 53.63 मीटर और चौड़ाई 35 मीटर है। दरवाजे तक पहुंचने के लिए 42 सीढ़ियां बनाई गई हैं। खास बात ये है कि बुलंद दरवाजे के निर्माण में लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया। ये हिंदू और फारसी वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। दरअसल इसके स्तंभों पर कुरान की आयतें खुदी हैं। यहां बाइबिल की भी कुछ पंक्तियां लिखी हैं। दरवाजा एक बड़े आंगन और मस्जिद की तरफ खुलती है। ट्रेन और सड़क मार्ग से आगरा की कनेक्टिविटी अच्छी है। लखनऊ से आगरा की दूरी 333 किलोमीटर, कानपुर से 275 और मथुरा से करीब 57 किलोमीटर दूर है।