आगरा. दुनिया के आठवें अजूबे में शामिल आगरा के ताजमहल ने भारत की खूबसूरती को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है। ताजनगरी हमेशा से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही है। दुनियाभर से यहां लोग ताजमहल का दीदार करने और शहर की अन्य खूबसूरती को देखने आते हैं। इसी अन्य खूबसूरती में सूर सरोवर पक्षी विहार भी शामिल है। दुनियाभर के 50 हजार प्रवासी पक्षियों को हर साल लुभाने वाला आगरा का सूर सरोवर पक्षी विहार अब अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर नजर आएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने सूर सरोवर का चयन रामसर साइट में कर लिया है। इस लिहाज से सूर सरोवर रामसर साइट घोषित होने वाला प्रदेश का आठवां वेटलैंड बन गया है। रामसर साइट घोषित होने पर इस वेटलैंड को विश्वस्तर पर पहचान मिलेगी।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा सूर सरोवर को रामसर साइट घोषित करने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सूर सोरवर के नाम से प्रसिद्ध कीठम झील में 60 प्रजातियों की मछलियां व दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पाए जाने वाले ग्रे लेग गूंज पक्षी की चहचहाहट यहां हमेशा सुनाई देती है। कीठम झील 800 हेक्टेयर के जंगल में फैला है जिसमें प्रतिवर्ष 30,000 जलीय पक्षी आते हैं। सूर सरोवर को रामसर साइट घोषित करने के से इस क्षेत्र में पर्यटकों के आकर्षण में वृद्धि होगी।
बता दें कि अभी तक प्रदेश के सात वेटलैंड-नबाबगंज पक्षी विहार, पार्वती अरंगा गोंडा, समान पक्षी विहार मैनपुरी, समसपुर पक्षी विहार रायबरेली, सांडी पक्षी विहार हरदोई, सरसई नावर व ऊपरी गंगा का ब्रज घाट से नरोरा तक का भाग रामसर साईट के रूप में अधिसूचित किया गया है। सूर सरोवर प्रदेश का आठवां वेटलैंड है जिसे रामसर साइट घोषित किया गया है।
क्या है रामसर कन्वेंशन ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी, 1971 में वेटलैंड पर सम्मेलन हुआ था। रामसर कन्वेंशन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने से पहले वाइल्ड लाइफ, ईको सिस्टम समेत कई मानकों की जांच की जाती है। 160 देशों ने रामसर कन्वेंशन स्वीकार किया है। देश में 27 और उत्तर प्रदेश में केवल एक रामसर साइट है। ऊपरी गंगा का बृजघाट से नरौरा तक का 26,270 हेक्टेयर हिस्सा रामसर साइट में दर्ज है। रामसर साइट में दर्ज होने से वेटलैंड को मिलने वाले बजट और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में भी बढ़ोतरी होती है।
सूर सरोवर की खासियत सूर सरोवर पक्षी विहार में फ्लैमिंगो, पेलिकन, बार हेडेड गूज, शॉवलर, स्पून बिल, कूट, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, ब्लैक टेल्ड गोविट, कॉमन ग्रीन शेंक, ग्रे लेग गूज, नार्दन पिनटेल, कॉमन सैंडपाइपर, कारमोरेंट, स्पॉट बिल्ड डक, कांबो डक, व्हिसलिंग टील, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क की चहचहाहट सुनाई देती है। अक्तूबर से लेकर मार्च तक यहां बड़ी संख्या में पेलिकन और कारमोरेंट की जुगलबंदी नजर आती है।