टकराव की स्थिति
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि बढ़ते भौतिकवाद के कारण भी नव दम्पति अपनी एक अलग ही रूमानी दुनिया का सृजन कर लेते है। जिसके कारण भी कई बार टकराव होने लगता है। परिवार में टकराव , अनबन सबसे ज्यादा सास और बहु के बीच ही होती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव लड़के पर ही पड़ता है। कुछ उपाय से सास बहु के बीच कलह दूर रह सकती है।
ये करें उपाए
सास व बहू में आपसी संबंध में कटुता होने पर बहू या सास दोनों में कोई भी चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें, और ईश्वर से अपनी सास, बहु से सम्बन्ध अच्छे रहने की प्रार्थना करे। इससे दोनों के बीच में सम्बन्ध प्रगाढ़ होते है।
— सास या बहू में जो भी कोई सम्बन्ध सुधारने को इच्छुक हो वह शुक्ल पक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार से माथे पर हल्दी या केसर की बिंदी लगाना शुरू करें। — सास-ससुर का कमरा सदैव दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए और बेटे-बहू का कमरा पश्चिमी या दक्षिण दिशा में। अगर बेटे-बहू का रूम दक्षिण-पश्चिम में होता है, तो उनका सास-ससुर से झगड़ा बना ही रहेगा, घर में आए दिन क्लेश रहेगा। परिवार पर अपना नियंत्रण रखने के लिए इस दिशा में घर के बडों को ही रहना चाहिए।.
— किचन कभी भी घर के ईशान कोण या मध्य में ना हो, यह आपसी संबंधों के लिए बेहद घातक है। घर की रसोई आग्नेय कोण यानी उत्तर-पूर्व में होनीं चाहिए। रसोई गलत जगह में होने पर सास-बहू के आपसी क्लेश, मनमुटाव बना ही रहेगा। अगर रसोई में दोष है तो उसके आग्नेय कोण में एक लाल रंग का बल्ब लगा दें, इसके अतिरिक्त अगर रसोई घर आग्नेय दिशा के स्थान पर किसी और दिशा में बनी हो तो उसकी दक्षिण और आग्नेय दिशा की दीवार को लाल रंग से रंगकर कर उसका दोष दूर किया जा सकता हैं।
— सास बहु में कलेश होने पर जो चाहता है कि आपसी रिश्ते सुधरे उसे गले में चांदी की चेन धारण करनी चाहिए और यह भी ध्यान रहे कि कभी किसी से भी कोई सफेद वस्तु न लें।
— मंगलवार को सूजी का हलवा बनाकर उसको मंदिर के बाहर बैठे गरीबों में स्वयं बांटना चाहिए । — ग्रहस्थ जीवन में पत्नी को हमेशा पति के बायीं और ही शयन करना चाहिए इससे पति और पत्नी के मध्य प्रेम बना रहता है ।
— यदि किसी परिवार में सास बहु में झगड़ा होता रहता हो तो बहु पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रखे और फिर वह खीर अपनी सास को खिला दे। इससे सास-बहू में बनने लगेगी।
कहते है जो सास अपनी बहु को अपनी बेटी मानती है। उसे अपनी बेटी की तरह ही लाड़ प्यार करती है उसकी स्वयं की बेटी का भी दाम्पत्य जीवन सदैव सुखमय रहता है। उससे देवता भी प्रसन्न रहते है, उसका और उस घर के बुजुर्गो का स्वास्थ्य ठीक बना रहता है। वह जीवन के अंतिम समय तक भी बिस्तर पर रोगी बनकर नहीं रहते है अर्थात उनका शरीर उनका साथ देता है।