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थाना एत्मादौला क्षेत्र के प्रकाश नगर में 14 जुलाई की शाम नेकराम की 16 वर्षीय पुत्री दुर्गेश का शव फंदे पर लटका हुआ मिला। मौके पर पहुंची पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, तो वहां से पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। इस सुसाइड नोट में दुर्गेश ने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने पिता नेकराम और बड़े भाई को ठहराया। सुसाइड नोट में साफ लिखा गया, कि उसकी मां को परिवार के लोग पागल बनाना चाहते थे। तीन दिन से मां बेटी दोनों ही भूख से तड़प रहे थे। परिवार की इस बेरुखी से नाराज होकर वह आत्महत्या कर रही है।
थाना एत्मादौला क्षेत्र के प्रकाश नगर में 14 जुलाई की शाम नेकराम की 16 वर्षीय पुत्री दुर्गेश का शव फंदे पर लटका हुआ मिला। मौके पर पहुंची पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, तो वहां से पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। इस सुसाइड नोट में दुर्गेश ने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने पिता नेकराम और बड़े भाई को ठहराया। सुसाइड नोट में साफ लिखा गया, कि उसकी मां को परिवार के लोग पागल बनाना चाहते थे। तीन दिन से मां बेटी दोनों ही भूख से तड़प रहे थे। परिवार की इस बेरुखी से नाराज होकर वह आत्महत्या कर रही है।
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वहीं इस मामले में मृतका किशोरी के पिता नेकराम ने कुछ अलग ही कहानी बताई। नेकराम ने बताया कि उसके छोटे पुत्र के ससुराल का एक युवक उनके घर आ गया था, जिसका विरोध पूरे परिवार ने किया, लेकिन छोटा पुत्र उस युवक को घर पर ही रखना चाहता था। बस इसी बात को लेकर घर में विवाद था और पिता घर छोड़कर चला गया था। पिता का कहना है कि छोटे पुत्र ने बेटी की हत्या की है और उसे आत्महत्या में बदलने के लिए पुत्री के शव को फंदे पर लटका दिया है।
वहीं इस मामले में मृतका किशोरी के पिता नेकराम ने कुछ अलग ही कहानी बताई। नेकराम ने बताया कि उसके छोटे पुत्र के ससुराल का एक युवक उनके घर आ गया था, जिसका विरोध पूरे परिवार ने किया, लेकिन छोटा पुत्र उस युवक को घर पर ही रखना चाहता था। बस इसी बात को लेकर घर में विवाद था और पिता घर छोड़कर चला गया था। पिता का कहना है कि छोटे पुत्र ने बेटी की हत्या की है और उसे आत्महत्या में बदलने के लिए पुत्री के शव को फंदे पर लटका दिया है।
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पत्रिका टीम इस मामले की हकीकत जानने के लिए प्रकाश नगर पहुंची। यहां पर आस पड़ासे के कुछ लोगों से बात हुई। कोई खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं था, लेकिन पड़ोसियों ने बताया कि 14 जुलाई की शाम दुर्गेश अच्छी भली घूम रही थी। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, परेशान भी नहीं लग रही थी। फिर रात में अचानक क्या हुआ, ये नहीं पता चल सका।
पत्रिका टीम इस मामले की हकीकत जानने के लिए प्रकाश नगर पहुंची। यहां पर आस पड़ासे के कुछ लोगों से बात हुई। कोई खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं था, लेकिन पड़ोसियों ने बताया कि 14 जुलाई की शाम दुर्गेश अच्छी भली घूम रही थी। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, परेशान भी नहीं लग रही थी। फिर रात में अचानक क्या हुआ, ये नहीं पता चल सका।