दो लाख किसान एक ही ढर्रे पर चल रहे
आगरा जनपद में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या करीब दो लाख है। आगरा जनपद में बिचपुरी, रायभा, अछनेरा, फतेहपुरसीकरी, सैंया, खेरागढ़, कागारौल, शमसाबाद, फतेहाबाद जैसी जगहों पर किसानों द्वारा गेहूं, सरसों और आलू की खेती की जाती है। किसान इन खेती पर ही निर्भर रहता है और अपने परिवार का भरण पोषण करता है। जबकि सरकार जो योजना तैयार कर रही है। उसमें गेहूं के साथ साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, डेयरी सहित बहुउद्देश्यीय खेती पर जोर दिया जा रहा है। फील्ड आॅफीसर कृषि लागत परियोजना उत्तर प्रदेश के धर्मवीर सिंह ने बताया कि इसके जरिए किसान अपनी खेती की से आमदनी बढ़ा सकते हैं। सरकार द्वारा किसान की ऐसी योजना बनाई जा रही है, जिसमें क्षेत्र की उपयोगिता के आधार पर खेती का समावेश किया जा सके।
आगरा जनपद में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या करीब दो लाख है। आगरा जनपद में बिचपुरी, रायभा, अछनेरा, फतेहपुरसीकरी, सैंया, खेरागढ़, कागारौल, शमसाबाद, फतेहाबाद जैसी जगहों पर किसानों द्वारा गेहूं, सरसों और आलू की खेती की जाती है। किसान इन खेती पर ही निर्भर रहता है और अपने परिवार का भरण पोषण करता है। जबकि सरकार जो योजना तैयार कर रही है। उसमें गेहूं के साथ साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, डेयरी सहित बहुउद्देश्यीय खेती पर जोर दिया जा रहा है। फील्ड आॅफीसर कृषि लागत परियोजना उत्तर प्रदेश के धर्मवीर सिंह ने बताया कि इसके जरिए किसान अपनी खेती की से आमदनी बढ़ा सकते हैं। सरकार द्वारा किसान की ऐसी योजना बनाई जा रही है, जिसमें क्षेत्र की उपयोगिता के आधार पर खेती का समावेश किया जा सके।
किसानों की दी जा रही जानकारी
सरकार द्वारा किसानों को समय समय पर अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। किसानों को कम संसाधनों में अधिक आमदनी के तरीके बताए जा रहे हैं। सिंचाई करने के तरीकों से बाकिफ कराया जा रहा है। आगरा क्षेत्र में किसान अधिकांशत: एक ही खेती कर लेते हैं, जिसमें कभी कभी नुकसान हो जाता है। आईएमएस द्वारा संचालित संस्थाएं किसानों को ट्रेनिंग देकर आलू के साथ अन्य खेती या पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी फॉर्मिग आदि के लिए जागरूक किया जा रहा है।
सरकार द्वारा किसानों को समय समय पर अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। किसानों को कम संसाधनों में अधिक आमदनी के तरीके बताए जा रहे हैं। सिंचाई करने के तरीकों से बाकिफ कराया जा रहा है। आगरा क्षेत्र में किसान अधिकांशत: एक ही खेती कर लेते हैं, जिसमें कभी कभी नुकसान हो जाता है। आईएमएस द्वारा संचालित संस्थाएं किसानों को ट्रेनिंग देकर आलू के साथ अन्य खेती या पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी फॉर्मिग आदि के लिए जागरूक किया जा रहा है।