आगरा

जाटों का IQ यादवों से अधिक, इसी कारण आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, देखें वीडियो

-जाट आरक्षण संघर्ष समिति के कारण यूपी में जाटों को आरक्षण मिला -हाईकोर्ट से भी जीते, अभी उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं लम्बित हैं
-जाट महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक 15 फरवरी से आगरा में

आगराDec 15, 2019 / 08:00 pm

Bhanu Pratap

Kunwar Shailraj singh

आगरा। अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुंवर शैलराज सिंह एडवोकेट (Kunwar Shailraj singh) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जाट आरक्षण (Jat reservation) के बारे में सनसनीखेज जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यादव (Yadav) और कुर्मी (kurmi) समाज ने जाट आरक्षण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका प्रस्तुत की हुई है। यादव जानते है कि जाटों का आईक्यू (Intelligence quotient) उनसे अधिक है, इस कारण जाट अधिक फायदा उठा सकते हैं। आरक्षण की बदौलत 43 जाट लड़के और लड़कियों का चयन पीसीएस (जे) में हुआ है। यह हमारे लिए गौरव की बात है।
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पदाधिकारियों को सीख

कुंवर शैलराज सिंह शास्त्रीपुरम, सिकंदरा में जय प्रकाश चाहर द्वारा आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित कर रहे थे। चाहर ने अखिल भारतीय जाट महासभा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह के स्वागत में कार्यक्रम रखा था। इसमें जाटों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राना ने किया। शैलराज सिंह ने कहा- पदाधिकारियों से अनुरोध है कि कार्यकारिणी का गठन कर अनुमोदन लें, उसके बाद ही घोषणा करें। हम अनुशासन प्रिय हैं। सोशल मीडिया पर अगर ऐसी पोस्ट जाती है, जिससे हास्यास्पद स्थिति बनती है तो हमारे समाज का नुकसान होगा। अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से करें।
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यूपी के जाटों को आरक्षण दिलाया

उन्होंने बताया कि जाट महासभा की पहली बैठक बालूगंज में 1977 में हुई थी। इसमें पहली बार भाग लिया था। राजकीय सेवा में रहते हुए जाट महासभा की ऐसी कोई बैठक नहीं हुई, जिसमें शामिल न हुए हैं। 1999 में हमें दायित्व मिला। जाट आरक्षण संघर्ष समिति का संयोजक बनाया गया। समिति ने 31 दिसम्बर, 1999 को सर्किट हाउस में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्त को ज्ञापन दिया गया था। उसी ज्ञापन को कैबिनेट की बैठक में कोट किया गया और उत्तर प्रदेश के जाटों को वर्ष 2000 में आरक्षण मिला। उस समय हम संघर्ष करते थे तो कोई युवा साथी नहीं होता था सिवाय कप्तान सिंह चाहर और दो चार अन्य के। बुजुर्गों का आशीर्वाद रहता था। उस समय हमारे संघर्ष को उतना सहयोग नहीं मिला जितना पानीपत फिल्म को रोकने में मिला। उसका एक कारण यह हो सकता है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया सक्रिय नहीं था।
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यादव और कुर्मी ने कर रखी है याचिका

कुंवर शैलराज सिंह ने कहा कि हमें जो आरक्षण मिला था, उसके विरुद्ध यादव थे। वे जानते थे कि जाट का आईक्यू (इंटेलीजेंस क्योसेंट) यादव से अधिक होता है, उसी कारण सर्वाधिक आपत्ति उन्हें थी। हमने आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ी और हाईकोर्ट से भी जीते। जाटों का आरक्षण अब भी चल रहा है। जाटों को आरक्षण के विरुद्ध दो याचिकाएं लम्बित हैं। यूपीए सरकार ने 2014 में केन्द्र में आरक्षण दिया था। 2015 में समाप्त कर दिया गया। यादव और कुर्मी ने हमारे खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका कर रखी है कि जब केन्द्र में आरक्षण नहीं है तो प्रदेश में क्यों?
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राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 15 से

उन्होंने जानकारी दी कि अखिल भारतीय जाट महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक 15 और 16 फरवरी, 2020 को आगरा में आयोजित की गई है। संभावना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टन अमरिन्दर सिंह भाग लें। 15 फरवरी को राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रदेश अध्यक्ष और आयोजक भाग लेंगे। 16 फरवरी को खुला अधिवेशन सूरसदन में होगा। इसकी तैयारी अभी से करनी है।

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