ये है विशेष उपाय
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि ये बात तो सभी जानते हैं कि आज के दिन अकाल मृत्यु से परिवार को बचाने के लिए एक दीपक यमराज को समर्पित किया जाता है। लेकिन इसके अलावा एक अन्य चौमुखी दीपक घर के बुजुर्ग व्यक्ति से घर के अंदर जलवाएं और इसे पूरे घर के एक एक कोने में ले जाकर घुमाएं। इसके बाद इस दीपक को घर से कहीं दूर छोड़ आएं। ये उपाय आपके घर की सभी परेशानियों को दूर कर देगा क्योंकि इस दीपक के सहारे घर की नकारात्मक और बुरी शक्तियां दूर चली जाती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि ये बात तो सभी जानते हैं कि आज के दिन अकाल मृत्यु से परिवार को बचाने के लिए एक दीपक यमराज को समर्पित किया जाता है। लेकिन इसके अलावा एक अन्य चौमुखी दीपक घर के बुजुर्ग व्यक्ति से घर के अंदर जलवाएं और इसे पूरे घर के एक एक कोने में ले जाकर घुमाएं। इसके बाद इस दीपक को घर से कहीं दूर छोड़ आएं। ये उपाय आपके घर की सभी परेशानियों को दूर कर देगा क्योंकि इस दीपक के सहारे घर की नकारात्मक और बुरी शक्तियां दूर चली जाती है।
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दक्षिण की ओर मुख करके यमदीप जलाएंघर के मुख्य द्वार पर एक चौमुखी दीपक घर के बुजुर्ग से जलवाएं। दीपक जलाते समय बुजुर्ग अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें और यमराज से घर के लोगों को अकाल मृत्यु से बचाकर उन्हें दीर्घायु देने की प्रार्थना करें। इस दीपक की विशेष निगरानी करें और विदा होने के बाद दीपक को गेट के अंदर कहीं रख लें।
यम दीप जलाने का समय
26 अक्टूबर को शाम 03:46 बजे चतुर्दशी शुरू होगी जो कि 27 अक्टूबर, 2019 को दोपहर 12:23 तक रहेगी। यम दीप 26 अक्टूबर को शाम 05:42 बजे से 06:59 बजे के बीच जलाएं।
26 अक्टूबर को शाम 03:46 बजे चतुर्दशी शुरू होगी जो कि 27 अक्टूबर, 2019 को दोपहर 12:23 तक रहेगी। यम दीप 26 अक्टूबर को शाम 05:42 बजे से 06:59 बजे के बीच जलाएं।
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पूजन करने से नरक से मिलता छुटकारानरक चौदस के पूजन का एक महत्व और भी है। माना जाता है कि आज के दिन पूजन करने से नरक से छुटकारा मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक प्रतापी राजा थे। जिनका नाम रन्ति देव था। उन्होंने कभी किसी तरह का पाप नहीं किया था। उनकी आत्मा और उनका दिल एक दम साफ और शुद्ध था। जब उनकी मौत का समय आया तो उन्हें पता चला कि उन्हें नरक में जगह दी गई है। राजा ने जब इसका कारण पूछा तो यम ने कहा कि आपके द्वारा एक बार एक ब्राह्मण भूखा सो गया था। इस पर राजा ने यम से कुछ समय मांगा। यम ने राजा को थोड़ा समय दिया और अपने गुरू से राय लेकर राजा ने हजार ब्राह्मणों को खाना खिलाया। इस प्रक्रिया से सभी ब्राह्मण खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी के प्रकोप से राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई। बताया जाता है कि भोजन कराने का ये दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस का दिन था। तभी से आज तक नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।