ये भी पढ़ें – भगवान शिव ने धारण किए नाग देव
नौ नाग होते हैं, जो राजा होते हैं। श्रावण मास के माह में भगवान शिव की पूजा का जिस तरह विशेष महत्व होता है, नंदी की पूजा का विशेष महत्व होता है, उसी प्रकार नाग देव की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने इसी दिवस नाग देव को गले में धारण किया था। इसलिए श्रावण माह की इस पंचमी को नाग पंचमी कहा जाता है और इस दिन नाग देव के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है।
नौ नाग होते हैं, जो राजा होते हैं। श्रावण मास के माह में भगवान शिव की पूजा का जिस तरह विशेष महत्व होता है, नंदी की पूजा का विशेष महत्व होता है, उसी प्रकार नाग देव की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने इसी दिवस नाग देव को गले में धारण किया था। इसलिए श्रावण माह की इस पंचमी को नाग पंचमी कहा जाता है और इस दिन नाग देव के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है।
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महंत ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि इस दिन Nag Panchami पर नागदेव का पूजन करने से नाग दोष से मुक्ति भी मिल जाती है। इस दिन विधि-विधान से काल सर्प दोष निवारण की पूजा कराने से व्यक्ति को सर्प दोष और काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
महंत ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि इस दिन Nag Panchami पर नागदेव का पूजन करने से नाग दोष से मुक्ति भी मिल जाती है। इस दिन विधि-विधान से काल सर्प दोष निवारण की पूजा कराने से व्यक्ति को सर्प दोष और काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
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पूजा मुहूर्त – 05:49 से 8:28 (5 अगस्त 2019)
पंचमी तिथि प्रारंभ – 18:48 (4 अगस्त 2019)
पंचमी तिथि समाप्ति – 15:54 (5 अगस्त 2019)
पूजा मुहूर्त – 05:49 से 8:28 (5 अगस्त 2019)
पंचमी तिथि प्रारंभ – 18:48 (4 अगस्त 2019)
पंचमी तिथि समाप्ति – 15:54 (5 अगस्त 2019)
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नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन आस्था भाव से घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग की आकृति बनानी चाहिए। नाग की प्रतिमा स्थापित कर फल, पुष्प के साथ पूजन कर नाग देवता को दूध चढ़ाना चाहिए।
नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन आस्था भाव से घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग की आकृति बनानी चाहिए। नाग की प्रतिमा स्थापित कर फल, पुष्प के साथ पूजन कर नाग देवता को दूध चढ़ाना चाहिए।