दूसरा सबसे बड़ा राजयोग अटलजी की जन्मकुंडली
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि दूसरा सबसे बड़ा राजयोग अटलजी की जन्मकुंडली में देवगुरु बृहस्पति और चन्द्रमा के एक साथ युति उनकी जन्मकुंडली में उपस्थित थी। जो गजकेसरी महाराजयोग का निर्माण करती है इस योग को रखने वाला व्यक्ति पूरी तरह स्वच्छ छवि और सकारात्मक विचार लिए हुए होता है और साधारण परिवार में जन्म लेने के वावजूद भी वह राजा बनता है। यही कारण रहा कि अटलजी पत्रकारिता के सफर से लेकर देश के प्रधानमंत्री के सबसे बड़े पद तक पहुंचे।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि दूसरा सबसे बड़ा राजयोग अटलजी की जन्मकुंडली में देवगुरु बृहस्पति और चन्द्रमा के एक साथ युति उनकी जन्मकुंडली में उपस्थित थी। जो गजकेसरी महाराजयोग का निर्माण करती है इस योग को रखने वाला व्यक्ति पूरी तरह स्वच्छ छवि और सकारात्मक विचार लिए हुए होता है और साधारण परिवार में जन्म लेने के वावजूद भी वह राजा बनता है। यही कारण रहा कि अटलजी पत्रकारिता के सफर से लेकर देश के प्रधानमंत्री के सबसे बड़े पद तक पहुंचे।
गजकेसरी योग को असाधारण योग की श्रेणी
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक हिन्दू फलित ज्योतिष में गजकेसरी योग को असाधारण योग की श्रेणी में रखा गया है। यह योग जिस व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित होता है उसे जीवन में कभी भी अभाव नहीं खटकता। इस योग के साथ जन्म लेने वाले व्यक्ति की ओर धन, यश और र्कीत स्वत: खिंची चली आती है। जब कुंडली में गुरु और चंद्र पूर्ण कारक प्रभाव के साथ होते हैं तब यह योग बनता है। पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि लग्र स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक हो तब यह कारक प्रभाव के साथ माना जाता है। हालांकि अकारक होने पर भी फलदायी माना जाता है परन्तु यह मध्यम दर्जे का होता है चंद्रमा से केंद्र स्थान में 1, 4, 7, 10 बृहस्पति होने से गजकेसरी योग बनता है। इसके अलावा अगर चंद्रमा के साथ बृहस्पति हो तब भी यह योग बनता है।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक हिन्दू फलित ज्योतिष में गजकेसरी योग को असाधारण योग की श्रेणी में रखा गया है। यह योग जिस व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित होता है उसे जीवन में कभी भी अभाव नहीं खटकता। इस योग के साथ जन्म लेने वाले व्यक्ति की ओर धन, यश और र्कीत स्वत: खिंची चली आती है। जब कुंडली में गुरु और चंद्र पूर्ण कारक प्रभाव के साथ होते हैं तब यह योग बनता है। पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि लग्र स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक हो तब यह कारक प्रभाव के साथ माना जाता है। हालांकि अकारक होने पर भी फलदायी माना जाता है परन्तु यह मध्यम दर्जे का होता है चंद्रमा से केंद्र स्थान में 1, 4, 7, 10 बृहस्पति होने से गजकेसरी योग बनता है। इसके अलावा अगर चंद्रमा के साथ बृहस्पति हो तब भी यह योग बनता है।
चंद्रमा भी प्रबल था
अटलजी की जन्मकुंडली में यह गजकेसरी नामक महाराजयोग पूरी तरह प्रबल अवस्था में था। देवगुरु बृहस्पति ग्रह खुद अपनी स्वयं की राशि धनु में थे जिसके साथ साथ मन का कारक चन्द्रमा ग्रह भी था जो एक प्रबल गजकेसरी योग बनाता है।
अटलजी की जन्मकुंडली में यह गजकेसरी नामक महाराजयोग पूरी तरह प्रबल अवस्था में था। देवगुरु बृहस्पति ग्रह खुद अपनी स्वयं की राशि धनु में थे जिसके साथ साथ मन का कारक चन्द्रमा ग्रह भी था जो एक प्रबल गजकेसरी योग बनाता है।
अपना संकल्प पूरी निष्ठा से निभाया
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि कि इन्ही दो प्रमुख राजयोग के कारण ही अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि कि इन्ही दो प्रमुख राजयोग के कारण ही अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।