यह भी पढ़ें मौतों का एक्सप्रेसवेः आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 20 माह में 2368 हादसे और 227 मौतें
गायों को कटवाया पत्रिका से बातचीत में राजकिशोर राजे कहते हैं- अकबर जो काम करता था, वह पर्दे के पीछे चालाकी से करता था। औरंगबेज खुलेआम करता था। इसी कारण औरंगजेब बदनाम हो गया और अकबर को लोग भला मानते रहे। अकबर को सुलहकुल का प्रतिपादक मानते रहे। अकबर मूलरूप से धर्मान्ध था। नगर कोट के ज्वाला देवी मंदिर में 200 काली गायें थीं। अकबर ने गायों को कटवाकर उनका रक्त मूर्तियां पर डाला। अकबर ने उदयपुर पर हमला किया तो 30 हजार प्रजाजन, जो संघर्ष में शामिल नहीं थे, उन्हें मरवा डाला। उनके जनेऊ का वजन 74 मन था।
गायों को कटवाया पत्रिका से बातचीत में राजकिशोर राजे कहते हैं- अकबर जो काम करता था, वह पर्दे के पीछे चालाकी से करता था। औरंगबेज खुलेआम करता था। इसी कारण औरंगजेब बदनाम हो गया और अकबर को लोग भला मानते रहे। अकबर को सुलहकुल का प्रतिपादक मानते रहे। अकबर मूलरूप से धर्मान्ध था। नगर कोट के ज्वाला देवी मंदिर में 200 काली गायें थीं। अकबर ने गायों को कटवाकर उनका रक्त मूर्तियां पर डाला। अकबर ने उदयपुर पर हमला किया तो 30 हजार प्रजाजन, जो संघर्ष में शामिल नहीं थे, उन्हें मरवा डाला। उनके जनेऊ का वजन 74 मन था।
यह भी पढ़ें Valentine Day पर मधुमेह रोगियों को डॉ. सुनील बंसल की सलाह, देखें वीडियो
अपने गुरु की हत्या कराई अकबर जिससे नाराज हो जाता था, उसे सम्मान और पुरस्कार देता था। फिर महीने-दो महीने के अंदर उसकी अचानक मृत्यु हो जाती थी। ऐसे लोगों की लम्बी सूची अपनी पुस्तक में दी। जैसे अकबर का गुरु था अब्दुन्नवी। जब वह अकबर से मिलने आता था तो उसके जूते अपने हाथ से सीधे करके रखता था। जब अकबर ने दीन-ए-इलाही परिकल्पना की तो अब्दुन्नवी ने विरोध किया और कहा कि इस्लाम के अतिरिक्त और कोई धर्म नहीं हो सकता है। इस पर अकबर ने नाराज होकर उसे मक्का भेज दिया। अब्दुन्नवी आठ साल बाद अकबर की बिना अनुमति के भारत लौट आया। उसने सूरत बंदरगाह पर उतरकर अकबर को खबर भिजवाई कि मैं हिन्दुस्तान आ गया हूँ। अकबर ने कहा कि आप वहीं रुकिए, स्वागत के लिए टीम भेजता हूं। अब्दुन्नवी सूरत से आगरा की ओर चला। दो मंजिल (एक मंजिल 40 मील के बराबर) चलने के बाद रात्रि में कारवां रुका। सुबह अब्दुन्नवी के सीने में खंजर था। बैरम खां नहीं होता तो अकबर का कोई वजूद नहीं होती। अकबर ने उसका वध करा दिया।
अपने गुरु की हत्या कराई अकबर जिससे नाराज हो जाता था, उसे सम्मान और पुरस्कार देता था। फिर महीने-दो महीने के अंदर उसकी अचानक मृत्यु हो जाती थी। ऐसे लोगों की लम्बी सूची अपनी पुस्तक में दी। जैसे अकबर का गुरु था अब्दुन्नवी। जब वह अकबर से मिलने आता था तो उसके जूते अपने हाथ से सीधे करके रखता था। जब अकबर ने दीन-ए-इलाही परिकल्पना की तो अब्दुन्नवी ने विरोध किया और कहा कि इस्लाम के अतिरिक्त और कोई धर्म नहीं हो सकता है। इस पर अकबर ने नाराज होकर उसे मक्का भेज दिया। अब्दुन्नवी आठ साल बाद अकबर की बिना अनुमति के भारत लौट आया। उसने सूरत बंदरगाह पर उतरकर अकबर को खबर भिजवाई कि मैं हिन्दुस्तान आ गया हूँ। अकबर ने कहा कि आप वहीं रुकिए, स्वागत के लिए टीम भेजता हूं। अब्दुन्नवी सूरत से आगरा की ओर चला। दो मंजिल (एक मंजिल 40 मील के बराबर) चलने के बाद रात्रि में कारवां रुका। सुबह अब्दुन्नवी के सीने में खंजर था। बैरम खां नहीं होता तो अकबर का कोई वजूद नहीं होती। अकबर ने उसका वध करा दिया।
यह भी पढ़ें World record के लिए पिंक बेल्ट मिशन की टीम पहुंची Prelude Public School, सिखाई आत्मरक्षा की तकनीक
खून-खराबे के लिए अकबर दोषी मुगल खानदान में पहले भी आपसी संघर्ष होता था एकदूसरे की हत्या नहीं करते थे। हुमायूं के भाइयों ने उसे हमेशा बंदी बनाने का प्रयास किया, लेकिन उसने किसी को मारने का प्रयास नहीं किया। कामरान ने जब बहुत अधिक आपाधापी मचाई तो उसकी आँखें सिलवाकर मक्का भेज दिया था। अकबर ऐसा पहला शख्स था जिसने अपने चचेरे भाई मीर कासिम का वध करा दिया, क्योंकि उसे भय था कि कहीं गद्दी का दावेदार न हो जाए। इसके बाद शाहजहां, औरगंजेब और अन्य बादशाहों ने भी यही किया। अपने भाइयों को मार डाला। इस खून-खराबे के लिए मूल रूप से अकबर दोषी है।
खून-खराबे के लिए अकबर दोषी मुगल खानदान में पहले भी आपसी संघर्ष होता था एकदूसरे की हत्या नहीं करते थे। हुमायूं के भाइयों ने उसे हमेशा बंदी बनाने का प्रयास किया, लेकिन उसने किसी को मारने का प्रयास नहीं किया। कामरान ने जब बहुत अधिक आपाधापी मचाई तो उसकी आँखें सिलवाकर मक्का भेज दिया था। अकबर ऐसा पहला शख्स था जिसने अपने चचेरे भाई मीर कासिम का वध करा दिया, क्योंकि उसे भय था कि कहीं गद्दी का दावेदार न हो जाए। इसके बाद शाहजहां, औरगंजेब और अन्य बादशाहों ने भी यही किया। अपने भाइयों को मार डाला। इस खून-खराबे के लिए मूल रूप से अकबर दोषी है।
यह भी पढ़ें कान्हा की नगरी में जल्द दौड़ेगी मेट्रो ट्रेन
सिक्कों से लक्ष्मी जी का चित्र हटवाया जिस समय पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गौरी ने हराया था उस समय सिक्कों पर लक्ष्मी जी का चित्र हुआ करता था। उसके बाद फिरोज तुगलक, सिकंदर लोदी, इल्तुतमिश समेत तमाम शासक हुए, किसी ने भी लक्ष्मी जी का चित्र हटाया नहीं। अकबर ने पहली बार लक्ष्मी जी का चित्र हटाकर कलमा उत्कीर्ण कराया। इससे पता चलता है कि अकबर कितना धर्मान्ध था। उसने धर्म परिवर्तन भी कराया। मैंने जो भी लिखा है, उसके लिए पुरानी पुस्तकों का साक्ष्य लिया है। जदुनाथ सरकार की पुस्तकों का संदर्भ लिया है।
सिक्कों से लक्ष्मी जी का चित्र हटवाया जिस समय पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गौरी ने हराया था उस समय सिक्कों पर लक्ष्मी जी का चित्र हुआ करता था। उसके बाद फिरोज तुगलक, सिकंदर लोदी, इल्तुतमिश समेत तमाम शासक हुए, किसी ने भी लक्ष्मी जी का चित्र हटाया नहीं। अकबर ने पहली बार लक्ष्मी जी का चित्र हटाकर कलमा उत्कीर्ण कराया। इससे पता चलता है कि अकबर कितना धर्मान्ध था। उसने धर्म परिवर्तन भी कराया। मैंने जो भी लिखा है, उसके लिए पुरानी पुस्तकों का साक्ष्य लिया है। जदुनाथ सरकार की पुस्तकों का संदर्भ लिया है।