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वरिष्ठ मनोचिकित्सक दिनेश रौठौर का कहना है कि मनोबल का सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से है। लोगों में जहां एक तरफ संघर्ष की क्षमता कम होती जा रही है वहीं अपेक्षाएं अधिक हैं, यही कारण है कि छोटी-छोटी असफलताएं भी उनका मनोबल डिगा देती हैं। कॉन्फीडेंस लूज करने के बाद व्यक्ति तनाव में जा सकता है। ऐसी स्थिति में उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है साथ ही व्यवहार में बदलाव आता है। धीमे-धीमे उसका लोगों से संपर्क कम होता जाता है। इसे उदासी रोग भी कहते हैं। समय रहते चिकित्सकीय परामर्स न लेने पर ऐसी स्थिति में व्यक्ति अवसाद में भी जा सकता है। यह भी पढ़ें
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क्या है कारण डॉ राठौर ने बताया कि ब्रेन की केमिकल एक्टिवटी हमारे विचार, व्यवहार और भावनाओं को प्रभावित करती है। जब ब्रेन में न्यूरो ट्रांसमीटर की स्थित असंतुलित हो जाती है तो व्यक्ति का विचार, व्यवहार और भावनाओं में परिवर्तन आता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। कैसे पहचानें चिड़चिड़ापन बढ़ता है खुद के बारे में भी नकारात्मकता आने लगती है दुनिया के बारे में गलत राय बनती जाती है आत्महत्या के विचार आने लगते हैं काम में मन नहीं लगना
जब लोगों से संबंध प्रभावित होने लगें धीमे-धीमे व्यक्ति एकाकी होने लगता है कैसे बचें सबसे महत्वपूर्ण है मोटीवेशन बनोबल न टूटने दें नकारात्मकता को रखें दूर मोटीवेटिड लोगों के संपर्क में रहें
करीबियों से मन की बात शेयर करें चिकित्सकीय परामर्स लें