कम बोलें –
जो व्यक्ति ज्यादा बोलता हैं, उनकी आयु कम होती है। अधिक बोलने वाले का सम्मान और जीवन दोनों ही कम होता है। ऋषि मुनियों की आयु लंबी होने की एक वजह यह भी मानी जाती है कि वह कम बोला करते थे।
जो व्यक्ति ज्यादा बोलता हैं, उनकी आयु कम होती है। अधिक बोलने वाले का सम्मान और जीवन दोनों ही कम होता है। ऋषि मुनियों की आयु लंबी होने की एक वजह यह भी मानी जाती है कि वह कम बोला करते थे।
न करें अभिमान –
अभिमान मनुष्य की आयु को कम करता है। जिस व्यक्ति में यह अहंकार आ जाता है कि जो है वही और दूसरों का अपमान करने लगता है, उसका असमय ही अंत होता है। कंस और रावण भी अपने अहंकार के कारण ही असमय मारे गए थे।
अभिमान मनुष्य की आयु को कम करता है। जिस व्यक्ति में यह अहंकार आ जाता है कि जो है वही और दूसरों का अपमान करने लगता है, उसका असमय ही अंत होता है। कंस और रावण भी अपने अहंकार के कारण ही असमय मारे गए थे।
क्रोध पर रखें काबू –
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन क्रोध होता है। इंसान क्रोध में सोचने-समझने की शक्ति खो देता है, जिससे खुद का ही अहित कर बैठता है। क्रोध में मनुष्य अपनी जान को भी जोखिम में डाल लेता है, इसलिए क्रोध पर काबू रखना चाहिए।
सदैव रखें त्याग की भावना –
जिस मनुष्य को अपनी आयु बढ़ाने की इच्छा हो उसे अपने अंदर त्याग की भावना को बढ़ाना चाहिए। जिस व्यक्ति में त्याग भावना नहीं रहती है वह लालच में फंसकर अपना और अपने कुल परिवार का अंत कर लेता है। इसका बड़ा उदाहरण महाभारत के दुर्योधन हैं। यदि दुर्योधन 5 गांवों के लोभ का त्याग कर देता, तो महाभारत का महायुद्ध नहीं होता और वह रण में मारा नहीं जाता।
जिस मनुष्य को अपनी आयु बढ़ाने की इच्छा हो उसे अपने अंदर त्याग की भावना को बढ़ाना चाहिए। जिस व्यक्ति में त्याग भावना नहीं रहती है वह लालच में फंसकर अपना और अपने कुल परिवार का अंत कर लेता है। इसका बड़ा उदाहरण महाभारत के दुर्योधन हैं। यदि दुर्योधन 5 गांवों के लोभ का त्याग कर देता, तो महाभारत का महायुद्ध नहीं होता और वह रण में मारा नहीं जाता।
स्वार्थ –
स्वार्थ भी आयु को कम करता है। स्वार्थी मनुष्य हमेशा अपने हित को साधने में लगा रहता है, जिससे उसके कई शत्रु हो जाते हैं। इनमें संतुष्टि का अभाव होता है, जो धीरे-धीरे इनकी आयु को कम करता है।
स्वार्थ भी आयु को कम करता है। स्वार्थी मनुष्य हमेशा अपने हित को साधने में लगा रहता है, जिससे उसके कई शत्रु हो जाते हैं। इनमें संतुष्टि का अभाव होता है, जो धीरे-धीरे इनकी आयु को कम करता है।
किसी को न दें धोखा –
किसी को धाेखा देने से भी आयु कम होती है। जो व्यक्ति मित्र को धोखा देता है, उसे शास्त्रों में अधर्मी और उसके जीवन को नरक समान बताया गया है। महाभारत काल में दुर्योधन का परम मित्र कर्ण था। कर्ण ने कभी भी दुर्योधन को उसकी कमियों को नहीं बताया बल्कि उसके गलत कामों में साथ देता रहा परिणा यह हुआ कि मित्र सहित वह भी मारा गया। मित्र को सही राह ना दिखाना भी धोखा है।
किसी को धाेखा देने से भी आयु कम होती है। जो व्यक्ति मित्र को धोखा देता है, उसे शास्त्रों में अधर्मी और उसके जीवन को नरक समान बताया गया है। महाभारत काल में दुर्योधन का परम मित्र कर्ण था। कर्ण ने कभी भी दुर्योधन को उसकी कमियों को नहीं बताया बल्कि उसके गलत कामों में साथ देता रहा परिणा यह हुआ कि मित्र सहित वह भी मारा गया। मित्र को सही राह ना दिखाना भी धोखा है।