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आगरा

हिन्दू देवी देवताओं के बारे में ये जानकारी आपके लिए जरूरी है, न करें दुष्प्रचार

हिन्दू धर्म में 33 करोड़ नहीं, 33 कोटि देवी देवता हैं। कोटि का अर्थ होता है प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं

आगराMay 25, 2018 / 04:44 pm

धीरेंद्र यादव

devi devta

हिन्दू देवी देवताओं के बारे में ये जानकारी आपके लिए जरूरी है, न करें दुष्प्रचार

आगरा। अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है और आज के समय में ऐसा ही कुछ हो रहा है। ये कहना है ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का। उन्होंने बताया कि कई विद्धान पंडित और कथा वाचक अकसर ये कहते सुने होंगे कि हिन्दुओं के तो 33 करोड़ देवी देवता हैं। डॉ. मिश्र ने कहा कि यह भ्रम समाप्त कर लें, क्योंकि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ नहीं, 33 कोटि देवी देवता हैं। कोटि का अर्थ होता है प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं। कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता है। हिंदू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उड़ाई गई कि हिन्दूओं के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं।

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिंदू धर्म में –
12 प्रकार हैँं – आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अंशभाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था और विष्णु।
8 प्रकार हैं – वासु:, धरध्रुव, सोम , अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार हैं- रुद्र:, हरबहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा और कपाली।
दो प्रकार हैं- दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार ।
इस प्रकार कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी देवी देवता हैं।
ये जानकारी भी अहम
दो पक्ष- कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष।
तीन ऋण – देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण।
चार युग – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग।
चार धाम – द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम धाम।

ये हैं चार चारपीठ –
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ
ये हैं चार वेद-
ऋग्वेद
अथर्वेद
यजुर्वेद
सामवेद

चार आश्रम –
ब्रह्मचर्य
गृहस्थ
वानप्रस्थ
संन्यास

चार अंतःकरण –
मन
बुद्धि
चित्त
अहंकार

पञ्च गव्य –
गाय का घी
दूध
दही
गोमूत्र
गोबर

पंच तत्त्व –
पृथ्वी
जल
अग्नि
वायु
आकाश
छह दर्शन –
वैशेषिक
न्याय
सांख्य
योग
पूर्व मिसांसा
दक्षिण मिसांसा

सप्त ऋषि –
विश्वामित्र
जमदाग्नि
भरद्वाज
गौतम
अत्री
वशिष्ठ और कश्यप

सप्त पुरी –
अयोध्या पुरी
मथुरा पुरी
माया पुरी ( हरिद्वार )
काशी
कांची
शिन कांची – विष्णु कांची
अवंतिका
द्वारिका पुरी
आठ योग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान , समािध।
दस दिशाएं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, अग्नि, आकाश, पाताल।
बारह मास – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष,
माघ, फागुन।
पंद्रह तिथियां – प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावास्या।
स्मृतियां – मनु, विष्णु, अत्री, हारीत, याज्ञवल्क्य, उशना, अंगीरा, यम, आपस्तम्ब, सर्वत, कात्यायन, ब्रहस्पति, पराशर, व्यास, शांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप, वशिष्ठ।

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