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डेढ़ गुना मूल्य तय हो लागत का
मोहन सिंह चाहर का कहना है कि बृज क्षेत्र का किसान तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। फसल का डेढ़ गुना मूल्य किसान से पूछकर तय होना चाहिए, न कि कार्यालय में बैठकर। किसान की लागत के हिसाब से डेढ़ गुना मूल्य नहीं है। कार्यालयों में बैठे लोग मनमाने तरीके से फसल का मूल्य तय करते हैं। किसान तीन कट्टा खाद डालता है और मूल्य तय करते समय एक कट्टा से भी कम खाद का मूल्य रखा जाता है।
डेढ़ गुना मूल्य तय हो लागत का
मोहन सिंह चाहर का कहना है कि बृज क्षेत्र का किसान तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। फसल का डेढ़ गुना मूल्य किसान से पूछकर तय होना चाहिए, न कि कार्यालय में बैठकर। किसान की लागत के हिसाब से डेढ़ गुना मूल्य नहीं है। कार्यालयों में बैठे लोग मनमाने तरीके से फसल का मूल्य तय करते हैं। किसान तीन कट्टा खाद डालता है और मूल्य तय करते समय एक कट्टा से भी कम खाद का मूल्य रखा जाता है।
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आलू निर्यात जोन की जरूरत
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आलू निर्यात जोन की जरूरत
उन्होंने कहा कि आलू किसान हर साल घाटा सहता है। जरूरी है कि आलू किसानों के उद्धार के लिए आगरा में आलू निर्यात जोन बनाया जाए। नहरों में पानी समय पर मिले। कृषि उपकरण जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) से मुक्त होने चाहिए। बिजली के कारण भी सिंचाई नहीं हो पाती है।
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गन्ना किसान परेशान
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गन्ना किसान परेशान
श्री चाहर ने कहा कि जहां रैली हो रही है, वहां गन्ना किसानों की समस्या है। गन्ना का समर्थन मूल्य कम है। सरकारी स्तर पर गन्ना खरीद लिया जाता है, लेकिन भुगतान सालों बाद मिलता है। इससे किसान कर्जा और घटा सहता है। गेहूं की तरह गन्ना का भुगतान भी तत्काल होना चाहिए।