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ब्लॉक कार्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर स्याहीपुरा से पिढौरा मार्ग पर छूट से बजरिया की ओर जाने वाले मार्ग से करीब पांच सो मीटर की दूरी पर बसा ये गांव जोर, जिसमें पहुंचने पर सबसे बड़ा आश्चर्य तो तब हुआ जब इस गांव का मुख्य मार्ग कही ढूंढने पर नहीं मिला। गांव जाने के लिये रास्ता नहीं मिलने पर लोगों से रास्ता पूछा तो पता चला कि यहां के लिये कोई रास्ता नहीं है। खेतों की पगडंडियों से होकर जाने वाला यही रास्ता मुख्य मार्ग है। बाद में एक नहर के ऊपर रखे विद्युत पोल से गुजर कर गांव पहुंचना पड़ता है। करीब 700 लोगों की आबादी वाले इस गांव में हद तो तब हो गयी जब देखा कि समूचे गांव मे कोई पेयजल संसाधन ही नहीं है। महज दो हैण्डपम्प दिखे, जो सालों से खराब पड़े थे। ग्रामीण अपने खेतों पर बने प्राइवेट नलकूपों से पानी भरने को मजबूरन एक एक किलोमीटर दूर से पेयजल लाते दिखे। वहीं गांव मे स्वच्छ भारत अभियान के तहत कोई शौंचालय नहीं बना। कच्चे बने मकान व झोपड़ियों मे रह रहे लोगों को आवास तक नहीं मिले। पूरे गांव में न कोई खरंजा न नाली मिली। बस घरों की नालियों का पानी खुले रास्तों व गलियों मे बहता मिला, जो गंदगी का जन्म दे रहा हो।
ब्लॉक कार्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर स्याहीपुरा से पिढौरा मार्ग पर छूट से बजरिया की ओर जाने वाले मार्ग से करीब पांच सो मीटर की दूरी पर बसा ये गांव जोर, जिसमें पहुंचने पर सबसे बड़ा आश्चर्य तो तब हुआ जब इस गांव का मुख्य मार्ग कही ढूंढने पर नहीं मिला। गांव जाने के लिये रास्ता नहीं मिलने पर लोगों से रास्ता पूछा तो पता चला कि यहां के लिये कोई रास्ता नहीं है। खेतों की पगडंडियों से होकर जाने वाला यही रास्ता मुख्य मार्ग है। बाद में एक नहर के ऊपर रखे विद्युत पोल से गुजर कर गांव पहुंचना पड़ता है। करीब 700 लोगों की आबादी वाले इस गांव में हद तो तब हो गयी जब देखा कि समूचे गांव मे कोई पेयजल संसाधन ही नहीं है। महज दो हैण्डपम्प दिखे, जो सालों से खराब पड़े थे। ग्रामीण अपने खेतों पर बने प्राइवेट नलकूपों से पानी भरने को मजबूरन एक एक किलोमीटर दूर से पेयजल लाते दिखे। वहीं गांव मे स्वच्छ भारत अभियान के तहत कोई शौंचालय नहीं बना। कच्चे बने मकान व झोपड़ियों मे रह रहे लोगों को आवास तक नहीं मिले। पूरे गांव में न कोई खरंजा न नाली मिली। बस घरों की नालियों का पानी खुले रास्तों व गलियों मे बहता मिला, जो गंदगी का जन्म दे रहा हो।
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ग्रामीणों ने बताया गांव मे मच्छर भी बड़ी संख्या में हैं। पूरा देश रसोई गैस की ओर बढ़ रहा है। किन्तु यहां आज भी हर घर मे महिलाऐं चूल्हा फूंकती दिखीं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां नहर पर पूलिया निर्माण के लिये उन्होने पोर्टल पर मुख्यमंत्री से शिकायत की थी, जिसके बाद अधिकारी गांव आये और बोले एक किलोमीटर के दायरे मे दूसरी पूलिया नहीं बन सकती। गांव के ही बुजुर्ग कुम्हेर सिंह ने बताया कि करीब 14 बीघा मे बने गांव के विशाल तालाब पर ग्रामीणों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। इस कारण यह तालाब अब महज चार बीघा मे सिमट कर रह गया है। जिसकी कई बार उपजिलाधिकारी बाह से शिकायत की जा चुकी है। किन्तु आज तक कोई जांच करने तक नही पहुंचा है। वहीं ग्राम प्रधान पुन्नीलाल ने बताया कि गांव के सम्पर्क मार्ग के लिये कई बार लोक निर्माण विभाग को लिखित शिकायत दी जा चुकी है। किन्तु आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों ने बताया गांव मे मच्छर भी बड़ी संख्या में हैं। पूरा देश रसोई गैस की ओर बढ़ रहा है। किन्तु यहां आज भी हर घर मे महिलाऐं चूल्हा फूंकती दिखीं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां नहर पर पूलिया निर्माण के लिये उन्होने पोर्टल पर मुख्यमंत्री से शिकायत की थी, जिसके बाद अधिकारी गांव आये और बोले एक किलोमीटर के दायरे मे दूसरी पूलिया नहीं बन सकती। गांव के ही बुजुर्ग कुम्हेर सिंह ने बताया कि करीब 14 बीघा मे बने गांव के विशाल तालाब पर ग्रामीणों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। इस कारण यह तालाब अब महज चार बीघा मे सिमट कर रह गया है। जिसकी कई बार उपजिलाधिकारी बाह से शिकायत की जा चुकी है। किन्तु आज तक कोई जांच करने तक नही पहुंचा है। वहीं ग्राम प्रधान पुन्नीलाल ने बताया कि गांव के सम्पर्क मार्ग के लिये कई बार लोक निर्माण विभाग को लिखित शिकायत दी जा चुकी है। किन्तु आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।