अब कोई श्रेणी नहीं यह जानकारी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के विक्रय अधिकारी और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के नोडल अधिकारी मुकेश कुमार ने दी। वे आगरा क्लब में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ वितरक विपुल पुरोहित और ओमप्रकाश अग्रवाल भी थे। उन्होंने बताया कि लक्ष्य 31 मार्च, 2019 तक पूरा करना था, जो समय से पहले ही प्राप्त कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश में एससी एससटी श्रेणी, प्रधानमंत्री आवास योजना को ध्यान में रखकर काम किया। अधिकांश लाभार्थी अनुसूचित जाति-जनजाति के हैं। अब कोई श्रेणी नहीं है। हर परिवार को गैस संयोजन देना है। उन्होंने बताया कि एक दिसम्बर, 2018 तक एलपीजी कवरेज 62 फीसदी से बढ़कर 89.5 फीसदी हो गई है।
पहल योजना गिनीज बुक में दर्ज मुकेश कुमार ने बताया कि केन्द्र सरकार ने गुड गवर्नेंस के तहत पहल योजना जारी की। इसके तहत वास्तविक उपभोक्ताओं को ही गैस सिलेंडर पर मिलने वाला अनुदान देना था। छह दिसम्बर 2018 तक 23.08 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता पहल योजना के तहत आए। उपभोक्ताओं के खाते में 96,625 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए गए। पहल योजना को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। पहल स्कीम के तहत गैस संयोजन में चल रहा फर्जीबाड़ा रुका। इससे 50 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई।
आगरा की स्थिति उन्होंने बताया कि आगरा में 858631 परिवार हैं। इनमें से 854854 परिवारों को गैस संयोजन दिए जा चुके हैं। इस तरह से 99.56 फीसदी लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। एक अप्रैल 2016 तक यह 81.45 फीसदी था। उन्होंने बताया कि जो परिवार या व्यक्ति गैस संयोजन के लिए पैसा नहीं दे सकते हैं, उन्हें संयोजन के साथ ऋण दिया जाता है। ऋण की यह धनराशि गैस सिलेंडर पर मिलने वाले अनुदान से कटती रहती है। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं। हम स्वयं लोगों के बीच जा रहे हैं और गैस संयोजन लेने के लिए जागरूक कर रहे हैं। पांच किलोग्राम का भी गैस सिलेंडर जारी किया गया है, ताकि गरीब वर्ग आसानी से खरीद सके। उन्होंने बताया कि जिन्हें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस संयोजन दिया गया है, उनमें से 86 फीसदी ने फिर से सिलेंडर लिया है। इसलिए यह कहना है कि दोबारा सिलेंडर नहीं लिया जा रहा है, ठीक नहीं है।