एसीई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में आयोजित पांच दिवसीय इंस्पायर इंटर्नशिप कैम्प (डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी द्वारा आयोजित) में शामिल मंडल के 32 स्कूलों के 170 बच्चों को उन्होंने संबोधित किया। कहा कि आज कोयला और प्रैट्रोल जैसे ऊर्जा के स्त्रोत कम होने से दुनिया रिनुएबिल एनर्जी की ओर देख रही है। जबकि रिन्युएबिल एनर्जी की खोज गोबर के रूप में (उपले बनाकर व गोबर गैस से) सबसे पहले भारत में हुई। आज भी सोलर एनर्जी में 10 गीगा वॉट के प्लांट से 500 गीगा वॉट के प्लांट तक पहुंचकर हम दुनिया को लीड कर रहे हैं। कहा कि यदि हम सिलिकॉन चिप बनाने में न पिछड़ते तो आज सोलर एनर्जी के क्षेत्र में भारत सिरमोर होता। क्योंकि सिलिकॉन चिप बनने के लिए रेत की आवश्यकता होती है, भारत में इसकी कमी नहीं है। इस पर काफी काम चल रहा है। उन्होंने कई कहानियों के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ भारतीय संस्कारों से जुड़े रहने की भी सीख दी। बच्चों से वृक्षासन भी कराया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रो. खंडाल, कॉलेज के निदेशक डॉ. संयम अग्रवाल, चेयरमैन संजय गर्ग व सचिव अखिल गोयल ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर किया। संचालन सौरभ ने किया।
यूरिया प्लांट की आवश्यकता ही नहीं
भारत को दुनिया कार्बोहाइड्रेट कंट्री कहते हैं। क्योंकि हम कार्बोहाइट्रेड युक्त चीनी, चावल और गेहूं अधिक पैदा करते हैं। जबकि हम सबसे बड़े प्रोटीन कंट्री हैं। हम 70-80 हजार करोड़ की मीट निर्यात करते हैं। प्रो. खंडाल ने कहा कि यदि हम मीट का निर्यात बंद कर दें तो हमारे देश में यूरिया प्लांट की आवश्यकता ही नहीं होगी। गाय का मृत शरीर खेतों को लिए सबसे बेहतर यूरिया और पेस्टीसाइड है। इसी तरह गाय का गोबर सबसे बेहतर रिन्युएबिल ऊर्जा और उसका दूध सम्पूर्ण भोजन है।
भारत का हर संस्कार किसी न किसी रूप में विज्ञान से जुड़ा है। यदि आप हमेशा स्वस्थ रहना चाहते हैं तो प्रातः उठकर सर्वप्रथम धरती माता को स्पर्श कर नमन करें। प्रो. खंडाल ने कहा कि स्वस्थ रहने विशेषकर हृदय को स्वस्थ रखने के लिए शरीर में करंट का फ्लो ठीक आवश्यक है। जब हम प्रातः नंगे पैर धरती माता को स्पर्श करते हैं तो यह फ्लो पूरे दिन ठीक बना रहता है।