डॉ. एके खन्ना ने बताया कि बाजार में जो आम आ रहा है, उसे कार्बाइड से पकाया जा रहा है। हरा आम कुछ घंटों के लिए कार्बाइड में रखा, उसके बाद जब निकाला, तो ये पीला और पका हुआ निकला। बस यहीं से बीमारी की जड़ शुरू होती है। आम को पकाने में प्रयोग में लाया जाने वाला कार्बाइड बेहद हांनिकारक होता है। ये आम की उपरी सतह पर चिपक जाता है। इसके बाद इसकी न तो धुलाई होती है और नाहीं सफाई। ऐसा ही आम बाजार में आता है और इसे लोग खरीदकर घर ले जाते हैं।
डॉ. एके खन्ना ने बताया कि ये कार्बाइड जब पेट में जाता है, तो सबसे पहले तो ये गले पर अटैक करता है। इससे गला जकड़ जाता है। सीने में दर्द और गैस की परेशानी बढ़ जाती है। इसके साथ ही तेज बुखार भी आना शुरू हो जाता है। उन्होंने बताया कि इन दिनों इस तरह के बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल में आ रहे हैं। सभी को सलाह ये दी जा रही है, कि आम जरा संभलकर खायें।
डॉ. खन्ना ने बताया कि बीमारी के डर से आम का स्वाद लेना न भूलें, बस इसे खाने का तरीका थोड़ा सा बदल लें। उन्होंने बताया कि करते क्या हैं, कि बाजार से आम लाए, पानी में धुला और काटा और छिलक सहित आम की खांप को मुंह में डालकर गूदा दांतों से खींच लिया। ऐसा नहीं करना है, आम का छिलका मुंह में नहीं जाना चाहिए। इसके साथ ये भी कर सकते हैं कि आम को एक दिन के लिए पानी में डालकर रख दें। अगले दिन उसे पानी से निकालें और धुलकर खायें, इस तरह से भी आप इन बीमारी से बच सकते हैं।