करवा चौथ की तरह सुहागिनों का व्रत
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह ही हरतालिका तीज भी सुहागिनों का व्रत होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती से सदा सुहागन का आशीर्वाद मांगती हैं। इस व्रत को निराहार और निर्जला रखा जाता है। वैदिक हिन्दू शास्त्रों में मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। इसलिए यह कहा जाता है कि माता पार्वती की तरह अच्छा वर प्राप्त करने के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रख सकती हैं।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह ही हरतालिका तीज भी सुहागिनों का व्रत होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती से सदा सुहागन का आशीर्वाद मांगती हैं। इस व्रत को निराहार और निर्जला रखा जाता है। वैदिक हिन्दू शास्त्रों में मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। इसलिए यह कहा जाता है कि माता पार्वती की तरह अच्छा वर प्राप्त करने के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रख सकती हैं।
हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस बार Hartalika Teej 12 सितंबर 2018 को मनाई जाएगी। इस बार प्रात: काल पूजन के लिए महिलाओं को सिर्फ 2 घंटे 29 मिनट का समय मिलेगा। प्रात:काल मुहूर्त सुबह 6 बजकर 4 मिनट से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक है। वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने हरतालिका तीज का महत्व बताते हुए कहा कि वैदिक हिन्दू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पहली बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अन्न और जल सभी का त्याग कर दिया था। उनके पिता की इच्छा थी कि पार्वती भगवान विष्णु से शादी कर लें। लेकिन, मां पार्वती के मन मंदिर में भगवान शिव बस चुके थे और इसलिए उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और कठोर तपस्या शुरू कर दी। इस दौरान मां पार्वती ना तो कोई अन्न ग्रहण किया और ना ही जल ही ग्रहण किया। इसलिए यह माना जाता है कि इस व्रत में अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। मां पार्वती की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शंकर उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस बार Hartalika Teej 12 सितंबर 2018 को मनाई जाएगी। इस बार प्रात: काल पूजन के लिए महिलाओं को सिर्फ 2 घंटे 29 मिनट का समय मिलेगा। प्रात:काल मुहूर्त सुबह 6 बजकर 4 मिनट से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक है। वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने हरतालिका तीज का महत्व बताते हुए कहा कि वैदिक हिन्दू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पहली बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अन्न और जल सभी का त्याग कर दिया था। उनके पिता की इच्छा थी कि पार्वती भगवान विष्णु से शादी कर लें। लेकिन, मां पार्वती के मन मंदिर में भगवान शिव बस चुके थे और इसलिए उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और कठोर तपस्या शुरू कर दी। इस दौरान मां पार्वती ना तो कोई अन्न ग्रहण किया और ना ही जल ही ग्रहण किया। इसलिए यह माना जाता है कि इस व्रत में अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। मां पार्वती की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शंकर उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।