आगरा

नरक चौदस स्पेशल: जानिए कौन हैं अलक्ष्मी जिनके पूजन के बाद ही घर आती हैं लक्ष्मी

नरक चतुर्दशी पर अलक्ष्मी का पूजन कर उन्हें घर से भेजा जाता है और माता लक्ष्मी के आगमन की तैयारी की जाती है।

आगराNov 05, 2018 / 05:11 pm

suchita mishra

alaxmi

हर साल को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को छोटी दीपावली मनायी जाती है। इस दिन को नरक चतुर्दशी, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी आदि नामों से जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि नरक चौदस के दिन अलक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है क्योंकि जब अलक्ष्मी जाती हैं, तभी दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का घर में आगमन होता है। जानिए कौन हैं अलक्ष्मी माता।
अलक्ष्मी, माता लक्ष्मी की बड़ी बहन हैं। मान्यता है समुद्रमंथन के समय कालकूट के बाद इनका प्रादुर्भाव हुआ। अलक्ष्मी को गरीबी, दुख और दुर्भाग्य की देवी कहा जाता है।इनका रूप माता लक्ष्मी के विपरीत है। प्रादुर्भाव के समय ये वृद्धा थीं, इनके केश पीले, आंखें लाल तथा मुख काला था। देवताओं ने इन्हें वरदान दिया कि जिस घर में कलह होगी, वहीं तुम रहोगी। तुम हड्डी, कोयला, केश और भूसी में वास करोगी। कठोर असत्यवादी, बिना हाथ मुंह धोए संध्या समय भोजन करने वालों तथा अभक्ष्य-भक्षियों को तुम दरिद्र बनाओगी। लिंगपुराण के अनुसार अलक्ष्मी का विवाह दु:सह नामक ब्राह्मण से हुआ और उसके पाताल चले जाने के बाद वे यहां अकेली रह गईं। सनत्सुजात संहिता के कार्तिक माहात्म्य में लिखा है कि पति द्वारा परित्यक्त होने के बाद वे पीपल वृक्ष के नीचे रहने लगीं। वहीं हर शनिवार को लक्ष्मी इनसे मिलने आती हैं। अत: शनिवार को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाने से समृद्धि आती है।
उल्लू है सवारी
कई लोग माता लक्ष्मी की सवारी उल्लू को समझते हैं, वास्तव में ये अलक्ष्मी की सवारी है। माता लक्ष्मी गरुड़ पर सवार होती हैं। इसलिए दिवाली की रात को गरुड़ पर सवार लक्ष्मी का आवाह्न करना चाहिए। उल्लू पर सवार लक्ष्मी के आवाह्न से अलक्ष्मी आ जाती हैं।
रूप चतुर्दशी के दिन अलक्ष्मी को घर से बाहर भेजते हैं
छोटी दिवाली या रूप चौदस के दिन अलक्ष्मी का पूजन कर उन्हें घर से बाहर भेजा जाता है। इस दिन घर की साफ सफाई की जाती है। कबाड़, टूटे-फूटे कांच या धातु के बर्तन किसी प्रकार का टूटा हुआ सजावटी सामान, बेकार पड़ा फर्नीचर व अन्‍य प्रयोग में ना आने वाली वस्‍तुएं जिन्हें नरक के समान समझा जाता है, उन्हें बाहर निकाला जाता है। शाम के समय नाली के पास चौमुखी दीपक जलाया जाता है। जब अलक्ष्मी चली जाती हैं, तब अगले दिन घर को सजाकर, रंगोली आदि बनाकर समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी के आगमन की तैयारी की जाती है।

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