पत्रिका से बातचीत में डॉ. पीके सिंह ने बताया कि मानसून में पसीने की वजह से हर तीसरे व्यक्ति को फंगल इनफेक्शन (Fungal infection) हो रहा है। आजकल दवाइयां काम नहीं कर रही हैं। दवाइयां फंगल इनफेक्शन (Fungal infection) के लिए प्रतिरोधी हो गई हैं। जो दवा 15 दिन के लिए दी जाती थी, वह दो महीने खिलानी पड़ रही है। एक दवा की जगह दो देनी पड़ रही हैं। इस मौसम में फंगल इनफेक्शन (Fungal infection) के साथ ही घमौरियां की समस्या अधिक है, जो बहुत खतरनाक है।
उन्होंने बताया कि जहां पतलून बांधा जाता है, वहां अधिक खुजली हो रही है। इसका कारण यह है कि वहां पसीना अधिक आता है। फंगल इनफेक्शन पहले पुरुषों में अधिक होता था। खासतौर पर अंतःवस्त्र वाले स्थानों पर। दो साल से महिला, पुरुष और बच्चों में समान रूप से हो रहा है।
डॉ. पीके सिंह ने बताया कि विदेशों में जानवरों को हरा चारा के स्थान पर अन्य फूड्स खिलाए जाते हैं। इसमें एंटी फंगल दवाइयां दी जाती हैं। इसका चलन अपने यहां भी हैं। पशुओं का दूध हम तक पहुंचता है। वहां से मानवों में आ रहा है। इसी कारण फंगल संक्रमण की बीमारी भयावह रूप ले रही है।
शरीर पर तेल न लगाएँ। दोनों समय ठंडे पानी से देर तक नहाएं। निर्वस्त्र होकर नहाएं। सूती कपड़े पहनें। खुजली वाले कपड़े अलग रखें। उन्हें गर्म पानी में धोएं। अगर समस्या अधिक है तो योग्य चिकित्सक को दिखाएं।
डॉ. पीके सिंह ने स्वीकार किया कि त्वचा रोगों की दवाइया आजकल महंगी हैं। सरकार को चाहिए कि सस्ती करे। उन्होंने यह भी कहा कि सभी प्रकार की दवाइयां सस्ती होनी चाहिए। प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना की दवा की गुणवत्ता पर कहा कि लोग शिकायत कर रहे हैं। जेनरिक दवा के नाम पर जो दवाइयां जो आ रही हैं, उनकी शिकायत है। इनकी डबल डोज देनी पड़ रही है। मैं डीसीजीआई की विशेषज्ञ समिति का सदस्य हूं। समिति की बैठक में हम सलाह देते रहते हैं।