आगरा

दिवाली पर नहीं सुनाई देगा आतिशबाजी का शोर, पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन शहरों में वायु गुणवत्ता 300 एक्यूआई है उन शहरों में पटाखों का इस्तेमाल पर रोक लगाया जाए।

आगराOct 08, 2021 / 04:39 pm

Nitish Pandey

आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में दिवाली पर ना पटाखों का शोर सुनाई देना और ना ही अगले दिन हवा में धुआं दिखाई देगी। दिवाली के मौके पर प्रशासन ने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाया है। पटाखों की अवैध बिक्री करने वालों और इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ जिला प्रसाशन सख्त कार्रवाई करने के मूड में हैं। आगरा के कोठी मीना बाजार, जीआईसी सहित कई स्थानों पर सजने वाले पटाखा बाजार लगातार दूसरी साल भी नहीं सजेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था रोक

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन शहरों में वायु गुणवत्ता 300 एक्यूआई है उन शहरों में पटाखों का इस्तेमाल पर रोक लगाया जाए। ताजनगरी आगरा का एक्यूआई 300 से अधिक होने के कारण पटाखों की बिक्री बंद करनी पड़ी थी।
कार्रावाई के लिए बनी विशेष टीम

अपर जिलाधिकारी शहर डॉक्टर प्रभाकांत अवस्थी का कहना है कि दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। पटाखों की अवैध बिक्री व कारोबार करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए विशेष टीम बना दी गई है। जिसमें मजिस्ट्रेट व पुलिस के अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि टीटीजेड में पहले से ही वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है।
रद्द करना पड़ा था आवंटन

गौरतलब है कि बीते साल कोरोना काल में पटाखा बाजारों के लिए दुकानें आवंटित होने के बाद जिधाकारी प्रभु नारायण सिंह ने दिवाली से दो दिन पहले आवंटन रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद आवंटियों को उनके द्वारा जमा कराई जमानत राशि जिला प्रशासन ने वापस भी कराई थी।
60 से 70 करोड़ का कारोबार

आगरा जनपद में पटाखे का कारोबार 2019 और उससे पहले तक करीब 60 से 70 करोड़ रुपए तक का होता था। ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब पटाखों के बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। यानी अगर 2020 और इस साल पटाखों पर रोक नहीं होता तो शायद 150 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हुआ रहता। नाम न प्रकाशित करने के शर्त पर एक व्यापारी ने कहा कि एक तो पहले से ही कोरोना की वजह से व्यापार ठप है। ऐसे में इस साल फिर पटाखों की ब्रिकी न होने से व्यापारियों को बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा।
संवेदनशील है ताजनगरी

आपको बता दें कि ताजनगरी ताज ट्रिपिजयम जोन (टीटीजेड) के तहत पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील शहर घोषित है। पटाखों में इस्तेमाल होने वाले गंधक, पोटाश व अन्य गोला-बारुद से पर्यावरण पर पड़ता है। हवा में प्रदूषण बढ़ने से सांस व अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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