आगरा में रहे थे चर्चाओं में
आगरा में वर्ष 2013 में बीएसए पद पर रहते हुए देवेंद्र प्रकाश यादव काफी सुर्खियों में रहे। समाजवादी पार्टी शासन में उन्होंने कभी किसी भी शिकायत अथवा जांच की परवाह नहीं की। सूत्र बताते हैं कि उसी दबंगई के आगोश में उनके द्वारा मृतक आश्रित कोटे में नियुक्तियों के साथ करीब एक हजार अध्यापकों के स्थानांतरण, सैंकडों की मात्रा में मानक रहित स्कूलों को मान्यता देने की शिकायतों में हर स्तर फाइनल रिपोर्ट लगवा ली।
आगरा में वर्ष 2013 में बीएसए पद पर रहते हुए देवेंद्र प्रकाश यादव काफी सुर्खियों में रहे। समाजवादी पार्टी शासन में उन्होंने कभी किसी भी शिकायत अथवा जांच की परवाह नहीं की। सूत्र बताते हैं कि उसी दबंगई के आगोश में उनके द्वारा मृतक आश्रित कोटे में नियुक्तियों के साथ करीब एक हजार अध्यापकों के स्थानांतरण, सैंकडों की मात्रा में मानक रहित स्कूलों को मान्यता देने की शिकायतों में हर स्तर फाइनल रिपोर्ट लगवा ली।
दर्ज कराया गया मुकदमा
विजिलेंस इंस्पेक्टर सियाराम निमेश द्वारा थाना शाहगंज में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मुकदमे में बताया गया है कि शासन के आदेश पर हुई खुली जांच में उन पर सभी आरोपों की बखूबी पुष्टि हुई है और उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। आरोप है कि उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में प्रथम आवक-प्रथम प्रदत्त नियम को दरकिनार कर चहेते आवेदकों को विभाग में क्लर्क बना दिया। आवेदक ममता देवी ने पहले आवेदन किया लेकिन, ममता देवी को छोड़कर उसके बाद वाली आवेदक को लिपिक बना दिया। इसी प्रकार सुभाष बाबू को छोड़कर किसी दूसरे को कनिष्ठ लिपिक बना दिया। इस दौरान आवेदन के कोई रजिस्टर नहीं बना। शिकायत के बाद बनाया तो उसे गायब कर दिया गया। ऐसे कई सरकारी दस्तावेजों से जमकर छेड़छाड़ की गई। गोपनीय सूत्रों के मुताबिक पूर्व बीएसए के कार्यकाल में जिन जिन अनर्ह लोगों ने नियुक्तियां पा ली हैं उनकी भी नौकरी पर गाज गिरने की पूर्ण संभावना है। ऐसी करीब 46 नियुक्तियों निरस्त की जा सकती हैं।
विजिलेंस इंस्पेक्टर सियाराम निमेश द्वारा थाना शाहगंज में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मुकदमे में बताया गया है कि शासन के आदेश पर हुई खुली जांच में उन पर सभी आरोपों की बखूबी पुष्टि हुई है और उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। आरोप है कि उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में प्रथम आवक-प्रथम प्रदत्त नियम को दरकिनार कर चहेते आवेदकों को विभाग में क्लर्क बना दिया। आवेदक ममता देवी ने पहले आवेदन किया लेकिन, ममता देवी को छोड़कर उसके बाद वाली आवेदक को लिपिक बना दिया। इसी प्रकार सुभाष बाबू को छोड़कर किसी दूसरे को कनिष्ठ लिपिक बना दिया। इस दौरान आवेदन के कोई रजिस्टर नहीं बना। शिकायत के बाद बनाया तो उसे गायब कर दिया गया। ऐसे कई सरकारी दस्तावेजों से जमकर छेड़छाड़ की गई। गोपनीय सूत्रों के मुताबिक पूर्व बीएसए के कार्यकाल में जिन जिन अनर्ह लोगों ने नियुक्तियां पा ली हैं उनकी भी नौकरी पर गाज गिरने की पूर्ण संभावना है। ऐसी करीब 46 नियुक्तियों निरस्त की जा सकती हैं।
2013 में कार्यकाल में मृतक आश्रित कोटे से हुई थी नियुक्तियां
साल 2013 में पूर्व बीएसए देवेंद्र प्रकाश यादव ने अपने कार्यकाल में मृतक आश्रित कोटे में कई नियुक्तियां की थी। इनमें से करीब 46 नियुक्तियां में प्रथम दृष्ट्या अनियमितता, साजिश के तहत अपने चहेतों के माध्यम से सरकारी धन के गबन करने, भ्रष्टाचार करने, अर्हअभ्यर्थियों के साथ धोखाधड़ी करने, सरकारी दस्तावेज गायब करने और पद का दुरुपयोग करने के आरोपों की विजिलेंस द्वारा की गई खुली जांच में पुष्टि होने के बाद शासन के आदेश पर यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। पूर्व बीएसए देवेन्द्र प्रकाश यादव कुछ दिन पहले ही डाइट औरैया में प्राचार्य बने हैं। उससे पूर्व वे लंबे समय तक सपा की राजधानी कहे जाने वाले जनपद इटावा के जिला विद्यालय निरीक्षक रहे हैं।
साल 2013 में पूर्व बीएसए देवेंद्र प्रकाश यादव ने अपने कार्यकाल में मृतक आश्रित कोटे में कई नियुक्तियां की थी। इनमें से करीब 46 नियुक्तियां में प्रथम दृष्ट्या अनियमितता, साजिश के तहत अपने चहेतों के माध्यम से सरकारी धन के गबन करने, भ्रष्टाचार करने, अर्हअभ्यर्थियों के साथ धोखाधड़ी करने, सरकारी दस्तावेज गायब करने और पद का दुरुपयोग करने के आरोपों की विजिलेंस द्वारा की गई खुली जांच में पुष्टि होने के बाद शासन के आदेश पर यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। पूर्व बीएसए देवेन्द्र प्रकाश यादव कुछ दिन पहले ही डाइट औरैया में प्राचार्य बने हैं। उससे पूर्व वे लंबे समय तक सपा की राजधानी कहे जाने वाले जनपद इटावा के जिला विद्यालय निरीक्षक रहे हैं।