वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम का कहना है कि 11 सितम्बर 2017 के बाद देवगुरु बृहस्पति ग्रह की तुला राशि में स्थिति परवर्तित गोचरीय ग्रह चाल में एक वर्ष के लिये भारत के लिए अति शुभ फलदायी नहीं है और इसके साथ ही ब्रहस्पति ग्रह की यह तुला राशि में स्थिति गोचरीय ग्रह चाल 11 सितम्बर 2017 के बाद केन्द्र और राज्यों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के लिए भी शुभ फलदायी नहीं है। इस एक वर्ष के दौरान केंद्र और राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारों को काफी विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ भारत के गुप्त शत्रु पड़ोसी देश भी भारत सरकार के लिये परेशानी पैदा कर सकते हैं। इसलिए भारत सरकार को अपने पड़ोसी देशों से विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है, इस ब्रहस्पति ग्रह की अशुभ गोचरीय चाल के दौरान एक वर्ष तक का प्रभाव रहेगा।
वैदिक सूत्रम चैयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 11 सितम्बर 2017 के बाद वर्ष के अंत तक गोचरीय चाल में बृहस्पति ग्रह के तुला राशि में स्थित होने पर मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु व कुम्भ राशि के जातकों को 11 सितम्बर के बाद देवगुरु ब्रहस्पति ग्रह तुला राशि में स्थित होकर अपनी गोचरीय शुभ ग्रह चाल मैं इन उपरोक्त राशियों से शुभ भाव में स्थित होने के कारण इन राशियों के व्यकितयों को आर्थिक व सामाजिक मान सम्मान के मामलों में वर्ष 2018 के पूर्वाध तक सफलता प्रदान करेंगे। किसी भी राशि के जातकों को वार्षिक शुभ फलों की प्राप्ति के लिए गोचरीय ग्रह चाल में ब्रहस्पति ग्रह का उस राशि से शुभ भाव भाव में स्थित होना अनिवार्य होता है। तभी उस राशि के जातक को उस वर्ष शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चाहे उस जातक की जन्मकुंडली में कितनी ही राजयोगकारी अच्छे ग्रह की महादशा क्यों न चल रही हो। इसलिये शुभ भाव में स्थित ब्रहस्पति ग्रह गोचरीय चाल में वार्षिक शुभ फल प्राप्त करता है और गोचर में अशुभ भाव में स्थित ब्रहस्पति ग्रह जातक को अशुभ फल प्राप्त करता है। इसलिये किसी भी ग्रह के शुभ भाव में स्थित गोचरीय चाल के बिना वार्षिक शुभ फलों की प्राप्ति नहीं हो सकती है। ब्रहस्पति, शनि, राहु, केतु गोचरीय चाल में काफी अवधि तक एक राशि व भाव में स्थित रहते हैं इसलिये वार्षिक भविष्यफल में इन ग्रहों का योगदान महत्वपूर्ण होता है। तथा सबसे अधिक शुभ फलों की प्राप्ति को देखने के लिए गोचरीय चाल में ब्रहस्पति ग्रह की शुभ और अशुभ भाव में उसकी स्थिति को देखना अनिवार्य होता है जैसे विवाह, संन्तान प्राप्ति, रोजगार, प्रमोशन, उच्चपद व मान सम्मान आदि।