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देवगुरु बृहस्पति ग्रह की परिवर्तित गोचरीय चाल बढ़ाएगी संकट

अमेरिका के लिये शक्तिशाली और भारत के लिए चुनोतिपूर्ण। 11 सितम्बर 2017 के बाद तुला राशि में स्थित देवगुरु बृहस्पति ग्रह की परवर्तित गोचरीय ग्रह चाल में

आगराSep 04, 2017 / 06:13 pm

अभिषेक सक्सेना

dev guru brihaspati

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आगरा। आने वाले समय में देवगुरु बृहस्पति अपनी गोचरीय चाल बदलेंगे। जानिए कैसा होगा आने वाला समय विभिन्न राशियों के लिए। पत्रिका से खास बातचीत में वैदिक सूत्रम के चेयरमैन और भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने रहस्मयी विश्लेषण किया है। उनका मानना है कि आने वाले समय में भारत में संकट और गहरा जाएगा, जबकि ये समय अमेरिका के लिए बहुत फलदायी होगा। वैदिक सूत्रम फ्यूचरोलॉजी टाइम्स के चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद ने बताया कि 11 सितम्बर 2017 के बाद महाशुभ ग्रह देवगुरु बृहस्पति अपनी गोचरीय परवर्तित ग्रह चाल में एक वर्ष के लिए 11 सितम्बर 2017 के बाद तुला राशि पर स्थान परिवर्तित करेंगे। जो अमेरिका की 4 जुलाई 1776 की स्वतन्त्रता दिवस की कुम्भ राशि की चन्द्र कुण्डली से भाग्य भाव में एक वर्ष के लिये स्थित रहेंगे, जो अमेरिका को और अधिक शक्तिशाली बनाने में मददगार साबित होंगे। देवगुरु बृहस्पति ग्रह अपनी गोचरीय परवर्तित ग्रह चाल में 11 सितम्बर 2017 के बाद परिवर्तित होगी।
दो वर्ष के लिये होगा

पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इसके साथ शनि ग्रह भी अपनी परवर्तित गोचरीय ग्रह चाल में 26 अक्टूबर 2017 से वृशिक राशि से धनु राशि में जाएंगे जो कि लगभग दो वर्ष के लिये होगा। जो अमेरिका को और भी ज्यादा शक्तिशाली बनाने में मददगार साबित होँगे। अमरीका स्वतन्त्रता दिवस की राशि 4 जुलाई 1776 के अनुसार कुम्भ है, जिसका कि अधिपति निष्पक्ष न्याय का देवता शनि ग्रह है और 26 अक्टूबर 2017 के बाद शनि ग्रह अमेरिका की कुम्भ राशि से गोचरीय परवर्तित ग्रह चाल में एकादश भाव (लाभ) अर्थात विशेष शक्तिशाली स्थान पर लगभग दो वर्ष तक स्थित रहेंगे जो अमेरिका व अमेरिकी नागरिकों के लिए अति शुभ फलदायी स्थिति है। ऐसा 26 अक्टूबर 2017 के बाद आने वाले दो वर्ष के लिए होगा।
तुला राशि में स्थिति परवर्तित गोचरीय ग्रह चाल
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम का कहना है कि 11 सितम्बर 2017 के बाद देवगुरु बृहस्पति ग्रह की तुला राशि में स्थिति परवर्तित गोचरीय ग्रह चाल में एक वर्ष के लिये भारत के लिए अति शुभ फलदायी नहीं है और इसके साथ ही ब्रहस्पति ग्रह की यह तुला राशि में स्थिति गोचरीय ग्रह चाल 11 सितम्बर 2017 के बाद केन्द्र और राज्यों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के लिए भी शुभ फलदायी नहीं है। इस एक वर्ष के दौरान केंद्र और राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारों को काफी विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ भारत के गुप्त शत्रु पड़ोसी देश भी भारत सरकार के लिये परेशानी पैदा कर सकते हैं। इसलिए भारत सरकार को अपने पड़ोसी देशों से विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है, इस ब्रहस्पति ग्रह की अशुभ गोचरीय चाल के दौरान एक वर्ष तक का प्रभाव रहेगा।
 किस प्रकार का फल प्रदान करेगी शुभ या अशुभ 

उन्होंने बताया कि 2017 में विभिन्न राशियों में कन्या और तुला राशि में स्थित ब्रहस्पति ग्रह की गोचरीय चाल विभिन्न राशियों पर किस प्रकार का फल प्रदान करेगी शुभ या अशुभ इसके साथ ही ब्रहस्पति ग्रह के विषय में रहस्यमयी आध्यातिमिक विवेचन किया है। 2017 में गोचरीय ग्रह चाल में देवगुरु ब्रहस्पति ग्रह कन्या राशि में 11 सितम्बर 2017 तक स्थित रहेगा। जिसके परिणाम या फलस्वरूप वृषभ, कर्क, सिंह, वृशिक, मकर व मीन राशि के जातकों के लिये कन्या राशि में स्थित बृहस्पति ग्रह अपनी गोचरीय चाल में शुभ फल प्रदान करने वाला है। इन सभी राशियों के जातकों को 11 सितम्बर 2017 तक शुभ फलों की प्राप्ति को प्रदान करने वाला है। लेकिन, 11 सितम्बर 2017 के बाद राशि परिवर्तन के बाद यही देवगुरु बृहस्पति ग्रह इन उपरोक्त राशि वाले व्यक्तियों को अशुभ फल प्रदान करेगा आने वाले एक वर्ष तक अपनी गोचरीय ग्रह चाल में इन उपरोक्त राशियों से अशुभ भाव में स्थित होने के कारण इसलिये उपरोक्त राशियों वाले जातक सावधानी बरतें।
सफलता प्रदान करेंगे
वैदिक सूत्रम चैयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 11 सितम्बर 2017 के बाद वर्ष के अंत तक गोचरीय चाल में बृहस्पति ग्रह के तुला राशि में स्थित होने पर मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु व कुम्भ राशि के जातकों को 11 सितम्बर के बाद देवगुरु ब्रहस्पति ग्रह तुला राशि में स्थित होकर अपनी गोचरीय शुभ ग्रह चाल मैं इन उपरोक्त राशियों से शुभ भाव में स्थित होने के कारण इन राशियों के व्यकितयों को आर्थिक व सामाजिक मान सम्मान के मामलों में वर्ष 2018 के पूर्वाध तक सफलता प्रदान करेंगे। किसी भी राशि के जातकों को वार्षिक शुभ फलों की प्राप्ति के लिए गोचरीय ग्रह चाल में ब्रहस्पति ग्रह का उस राशि से शुभ भाव भाव में स्थित होना अनिवार्य होता है। तभी उस राशि के जातक को उस वर्ष शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चाहे उस जातक की जन्मकुंडली में कितनी ही राजयोगकारी अच्छे ग्रह की महादशा क्यों न चल रही हो। इसलिये शुभ भाव में स्थित ब्रहस्पति ग्रह गोचरीय चाल में वार्षिक शुभ फल प्राप्त करता है और गोचर में अशुभ भाव में स्थित ब्रहस्पति ग्रह जातक को अशुभ फल प्राप्त करता है। इसलिये किसी भी ग्रह के शुभ भाव में स्थित गोचरीय चाल के बिना वार्षिक शुभ फलों की प्राप्ति नहीं हो सकती है। ब्रहस्पति, शनि, राहु, केतु गोचरीय चाल में काफी अवधि तक एक राशि व भाव में स्थित रहते हैं इसलिये वार्षिक भविष्यफल में इन ग्रहों का योगदान महत्वपूर्ण होता है। तथा सबसे अधिक शुभ फलों की प्राप्ति को देखने के लिए गोचरीय चाल में ब्रहस्पति ग्रह की शुभ और अशुभ भाव में उसकी स्थिति को देखना अनिवार्य होता है जैसे विवाह, संन्तान प्राप्ति, रोजगार, प्रमोशन, उच्चपद व मान सम्मान आदि।

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