पशु चिकित्सा केन्द्र बरौली अहीर पर तैनात पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रघुवीर यादव ने वॉट्सऐप पर एक पोस्ट वायरल किया था। इसमें बताया गया है कि ‘सीवीओ को 2 हजार रुपये महीने न देने, पशु आरोग्य मेला में 35 फीसद कमीशन न देने व बैकयार्ड पॉल्ट्री में गाइडलाइन के अनुसार फीड पूरा न देने की सूचना पर सीवीओ ने पशु चिकित्सालय बरौली अहीर का निरीक्षण किया। मेरी उनकी अनुपस्थित में स्टाफ को धमकाया और कहा कि दो हजार रुपये प्रतिमाह लेने की प्रक्रिया जो पूर्व से चल रही है, उसे जारी रखा जाए। जो चिकित्सक ये नकदी हर माह नहीं देगा, वह नौकरी नहीं कर पाएगा, ये भी धमकी दी। ‘ इस पोस्ट को वायरल करने के बाद सभी की प्रतिक्रिया मांगी गई। पशुधन प्रसार अधिकारी संघ ने इस पोस्ट को शासन और प्रशासन के उच्चाधिकारियों को ईमेल पर भेजा गया।
इस बीच मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके दौनेरिया ने 21 जून, 2019 को अतिथिवन में पशु चिकित्सा अधिकारियों की समीक्षा बैठक बुलाई। पशुधन प्रसार अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि इस बैठक में सीवीओ स्वयं नहीं पहुंचे। सीवीओ कार्यालय से भी कोई नहीं आया। जनपद स्तरीय समस्याओं का निस्तारण संभव नहीं हो सका। सरकारी योजनओं का क्रियान्वयन कैसे होगा। बैठक में अपर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी आगरा मंडल पहुंचे। उन्हें समस्याओं के निराकरण के लिए सुझाव दिए। उन्होंने इस संबंध में आश्वासन भी दिया।
डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि इसके बाद पशु चिकित्सा अधिकारी संघ और पशु चिकित्सा फार्मेसिस्ट संघ की बैठक हुई। दोनों संघों ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की निंदा की। आरोप लगाया कि डॉ. दौनेरिया सरकार की भ्रष्टाचार निवारण मुहिम को पलीता लगा रहे हैं। सभी सदस्यों की समस्या का निस्तारण न होने, बहुउद्देशीय चिकित्सा सचल वाहनों का दुरुपयोग, एमएमडी सीपी (खुरपुका मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम) में किए गए भ्रष्टाचार की जांच कराकर समय से यात्रा बिलों का भुगतान न करने, चिकित्सा प्रतिपूर्ति के भुगतान एवं यात्रा बिलों के भुगतान पर 10 फीसद कमीशन प्राप्त करने, सदस्यों के बिल का भुगतान न करने आदि अनियमितताओं की भर्त्सना की।
डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि संघ ने मांग की है कि मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी पर लगाए गए इन आरोपों की जांच कराई जाए। जांच के लिए सक्षम अधिकारी का चयन किया जाए। इस बारे में मंडलायुक्त अनिल कुमार और जिलाधिकारी एनजी रविकुमार को लिखित में अवगत कराया गया है।
इस मामले को लेकर पत्रिका टीम ने सीवीओ डॉ. एके दौनेरिया से बात करने का प्रयास किया, तो उनसे बात नहीं हो सकी। पत्रिका टीम द्वारा कई बार फोन किये गए। उनको मैसेज भी किया गया, लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं मिला सका।