किसान परिवार में जन्म जगत प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के निकट एक अत्यन्त कर्त्वयशील, देशभक्त, मेहनतकश, भारतीय किसानों का गाँव है, जिसे धाँधूपुरा कहते हैं। इसी गांव के बाबा कमल सिंह के परिवार में चौधरी उदयभान सिंह का जन्म हुआ। दादी रामप्यारी, पिता थान सिंह और माता कंचन देवी थी। पुत्र के जन्म की खुशी के वातावरण में कुछ ही क्षणों बाद मां का निधन हो गया। लन-पालन बुआ प्रयाग देवी के संरक्षण में हुआ। फूफा निहाल सिंह ग्राम महरारा, सादाबाद जिला मथुरा के निवासी थे। निहाल सिंह इनके धर्म पिता थे। निहाल सिंह पुलिस विभाग में कार्यरत थे। उनके अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा का प्रभाव चौ. उदयभान सिंह के जीवन पर पड़ा, जिससे कर्तव्यशीलता इनका जीवन दर्शन बन गया।
1964 से आरएसएस के स्वयंसेवक चौधरी उदयभान सिंह का विवाह 22 फरवरी 1966 को चाहरवाटी के ग्राम बघा के प्रतिष्ठित परिवार में सूरजमल एवं सोमोती देवी की ज्येष्ठ पुत्री शान्ती देवी के साथ हुआ। परिवार से अनुशासित एवं सिद्धान्तों पर युवा चौधरी उदयभान सिंह अपने गुरु थान सिंह सोलंकी एवं रसिक बिहारी लाल गुप्त की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। सन् 1964 में औपचारिक रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद संघ से स्थायी रूप से जुड़ गए।
पुलिस सब इंस्पेक्टर बने चौधरी उदयभान ने उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा परीक्षा में चयनित होकर सब इन्स्पेक्टर के रूप में नौकरी शुरू की। धर्मपिता निहाल सिंह की आज्ञा से नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। यह उनके आज्ञाकारी एवं अनुशासित जीवन का एक उदाहरण है। इसके बाद 509 आर्मी बेस वर्कशॉप आगरा में नौकरी पर चयनित हुए। परन्तु पारिवारिक दबाव के चलते इस नौकरी से भी त्याग पत्र दे दिया।
ट्रिपल एमए महाराजा सूरजमल इण्टर कॉलेज में शिक्षक जीवन की यात्रा प्रारम्भ की। समाजसेवी एवं संवेदनशील स्वभाव होने के कारण शिक्षक के पद पर रहते हुए शिक्षण कार्य के साथ-साथ बहुआयामी जीवन का विस्तार किया। आपने अपने जीवन में शिक्षण कार्य करते हुए एम.ए. आर्थशास्त्र, एम.ए.हिन्दी एवं एम.ए.समाजशास्त्र की परीक्षाएं उत्तीर्ण की। आपने बी.एड., साहित्यरत्न एवं व्याकरणाचार्य की परीक्षाएं सम्मान सहित उत्तीर्ण की। इस प्रकार जिले के सर्वोच्च शिक्षित शिक्षकों में गिने जाने लगे।
शिक्षक नेता के रूप में शिक्षकों की असहाय अवस्थ, सेवाशर्तों का अनुपालन तथा शिक्षकों की दुर्दशा को देख वे अपने आपको रोक नहीं सके और माध्यमिक शिक्षक संघ के आन्दोलन में कूद पड़े। उनके ज्ञान एवं नेतृत्व की क्षमता के चलते शिक्षक संघ के प्रदेश स्तर के विभिन्न दायित्वों पर रहे। 26 वर्षों तक शिक्षकों के लिए संघर्ष किया। सम्मानजनक स्थिति तक पहुंचाने में सफल रहे। आज भी माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक के रूप में प्रतिक्षण शिक्षकों को दिशा देने में अपना गौरव मानते हैं।
व्यापारी के रूप में व्यापारी के रूप में ईंट भट्ठा उद्योग में महत्वपूर्ण सम्मान प्राप्त किया। ख्याति कुशल व्यापारी के रूप में रही है। अखिल भारतीय ईंट भट्ठा महासंघ से जुड़े रहे हैं। बिक्रीकर विभाग द्वारा उत्पीड़न के विरोध में आपने आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और देशव्यापी हड़ताल कराने में सफल हुए। इसी के फलस्वरूप समस्त देश में केवल उत्तर प्रदेश में पहली बार व्यापार समाधान योजना लागू हुई। यह आपके प्रयास से बहुत बड़ी उपलब्धि थी। कोयला, कपड़ा, डेयरी एवं मिष्ठान्न व्यवसायी के रूप में ख्याति अर्जित की है।
होमगार्ड में अधिकारी के रूप में चौधरी उदयभान सिंह शिक्षा और व्यापार में प्रतिष्ठित होने के उपरान्त भी वर्दी और अनुशासन एवं रौबरुतबा के जीवन में वर्दी को मोह नहीं छोड़ पाए। उन्होंने पुलिस विभाग से तौबा करने के पश्चात सन् 1968 में अपने आपको कम्पनी कमाण्डर के रूप में होमगार्ड विभाग से नाता जोड़ लिया। वे सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में अकेले अधिकारी थे, जिनका आई.पी.एस.अधिकारी लोहा मानते थे।
आगरा जिला जेल के प्रभारी के रूप में सन् 1981 में उत्तर प्रदेश जेल कर्मियों की हड़ताल में जेल के भीतर शान्ति व्यवस्था बनाना शासन के लिए दूभर काम था। उस संकटकाल अवस्था में चौधरी उदयभान सिंह ने होमगार्ड विभाग में कम्पनी कमाण्डर के रूप में जेल व्यवस्था सुचारु रूप से सम्भाली। सब ने उनकी कार्यशैली का लोहा माना। आज भी सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के जेल विभाग में उनके कालखण्ड में भर्ती हुए सैकड़ों बन्दीरक्षक कार्यरत हैं।
राजनीतिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देशानुसार 1991 में सक्रिय राजनीति में पर्दापण किया। 1993 में दयालबाग विधानसभा क्षेत्र में 57000 मत प्राप्त करते हुए आगरा जिले के सर्वाधिक मतों से विजयी होने वाले विधायक के रूप में गौरव प्राप्त किया। विधानसभा सदस्य के रूप में अपने बीस माह के कार्यकाल में चौधरी उदयभान सिंह ने अपने क्षेत्र का विकास किया। उनके विधायकी के समय में उनके दल की घोर विरोधी सरकारें रही, जिसके कारण अपने प्रयासों में प्रशासन एवं सरकार का सहयोग नहीं मिल पाया। भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता होने के नाते उन्हें हस्तिनापुर उपचुनाव में प्रभारी बनाकर भेजा गया और उनके नेतृत्व में भाजपा प्रत्याशी की विजयश्री प्राप्त हुई। आगरा जिले का भाजपा जिलाध्यक्ष पद सौंपा गया। उनके नेतृत्व में जिला पंचायत क्षेत्र समिति, नगर निगम, नगर पालिका के चुनाव लड़े गये तथा पार्टी आगरा जिले में एक महत्वपूर्ण ताकत लेकर उभरी। विभिन्न गावों के 68 किमी0 सम्पर्क मार्ग की योजनाएं प्रस्तावित कीं और स्वीकृत कराईं तथा उनको पूरा कराया। इनसे क्षेत्र के काफी सारे गांव मुख्य मार्गों से जुड़ गये और इस क्षेत्र में निवासियों को मुख्य मार्गों की सुविधाएं भी मिलने लगी। उन्होंने बिजली के पांच सबस्टेशन गुतिला फीडर, मलपुरा फीडर, इटौरा फीडर, कुण्डौल फीडर तथा पोइया घाट फीडर के निर्माण हेतु प्रस्ताव किया तथा उसकी स्वीकृति करायी। अकोला में एक स्टेडियम की स्वीकृति कराना एक बड़ा काम था। विरोधी पक्ष की सरकार होते हुए भी विधायक निधि न होने के कारण विभिन्न कार्यक्रमों हेतु निधि की स्वीकृति कराई। 2014 का लोकसभा चुनाव फतेहपुर सीकरी से लड़ने की तैयारी की। पार्टी ने ही उन्हें इसकी अनुमति दी थी। इसके लिए खेरागढ़, फतेहाबाद, बाह, फतेहपुर सीकरी और आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में पदयात्राएं कीं। उन्हें टिकट नहीं मिला। 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया। शानदार जीत हासिल की।
शिक्षा की प्रगति में तत्पर शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रुचि होने के कारण उनके इस 21 प्राथमिक विद्यालयों के भवनों का निर्माण कराया गया। 42 विद्यालयों में मरम्मत का काम कराया। आगरा ग्रामीण क्षेत्र में रेनवाटर हार्वेंस्टिंग शुरू करने वाले लोगों में से वह एक हैं। इस हेतु उनके द्वारा क्षेत्र में प्रचार के अथक प्रयास किये गये। सरकार से मदद न मिलने की स्थिति में इन्होंने स्वयं अपने धन से लड़कियों की शिक्षा के लिए देहाती क्षेत्र में शान्ती देवी कन्या इण्टर कॉलेज की स्थापना की ताकि क्षेत्र की लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर शहर तक न जाना पड़े। चौधरी चरण सिंह चाहरवाटी महाविद्यालय की स्थापना कराई। गरीब असहाय, निर्बल बच्चों की शिक्षा हेतु आगरा शहर में भी इनके द्वारा प्रयाग पब्लिक स्कूल की स्थापना की गयी। इसी क्रम में चौ. उदयभान सिंह ने ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये ‘‘शान्ती उदय कॉलेज आफ साइंस एण्ड टैक्नोलॉजी’’ डिग्री कॉलेज की स्थापना की।
स्वास्थ्य सेवा में आगे चौधरी उदयभान सिंह के पुत्र चौ. मंजीत सिंह का निधन सन 2000 में हो गया। चौधरी मंजीत सिंह की स्मृति कायम रखने के लिए चौ. मंजीत सिंह स्मृति जनसेवा समिति की स्थापना की। उसके माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा और स्वावलम्बन के क्षेत्र में भी सेवा के प्रयास किये गये हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। विगत् 16 वर्षों से प्रत्येक माह की 05 एवं 18 तारीख को नियमित रूप से क्रमशः जगनेर एवं नौवांमील मलपुरा आगरा में निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया जाता है। जिसमें समाज के असहाय, निर्बल, निर्धन एवं वृद्धजनों की चिकित्सा समिति द्वारा निःशुल्क करायी जाती है। माह में एक बार विकलांग सहायता शिविर भी आयोजित किया जाता है। ये ऐसे प्रकल्प हैं, जिनके द्वारा हजारों वृद्ध एवं वृद्धाओं को नेत्र ज्योति प्रदान करने में सफलता प्राप्त की है। सैकड़ों विकलांगों को साइकिल, कृत्रिम पैर तथा समुचित डॉक्टरी सलाह दिलवाकर उनके चेहरों पर मुस्कराहट लाने का प्रयास किया है। चौधरी उदयभान सिंह ने आगरा शहर में गरीब एवं कमजोर वर्गों के निहितार्थ निःशुल्क अन्न सेवा प्रकल्प चला रखा है। यह सेवा कई सौ लोगों को प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था कराती है।
परिवार के मुखिया के रूप में चौधरी उदयभान सिंह के बाबा की सन्तानों में आज आठ भाई, बत्तीस भतीजे, पांच बेटे और सबकी सन्तानों के सदस्यों की संख्या एक सौ अड़तीस है, क्या मजाल जो उनके निर्णय से कोई भी बाहर जा सके। उनकी मर्जी के बिना पत्ता नहीं
अपने गांव के बूथ पर भाजपा को अजेय बनाया अधिकांशतः कोई भी कद्दावर राजनीतिक कार्यकर्ता अपने ही गांव-गली में विवादित हो जाता है, परन्तु चौधरी उदयभान सिंह पर गांव धांधूपुरा गौरवान्वित होता है। इसका प्रमाण है कि उनके गांव में 1991 से आज तक किसी का भी चुनाव (विधानसभा-लोकसभा) में धांधूपुरा के बूथ पर भारतीय जनता पार्टी ने हार का मुंह नहीं देखा है। धांधूपुरा में भाजपा अजेय है।