शनिवार को लगती है भारी भीड़
आज शनिवार है और नवरात्र में मां कालरात्रि की पूजा होती है। नूरी दरवाजा स्थित कालीबाड़ी मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां के पुजारी संतोष शर्मा है। उन्होंने बताया कि देवी की स्थापना यहां करीब 250 साल पहले श्रीशचंद्र भट्टाचार्य और पूर्ण चंद्र भट्टाचार्य ने की थी। देवी ने इन्हें स्वपन में कलश दिखाया था, इसके बाद इन दोनों ने यमुना से लाकर यहां कलश की स्थापना की। दिनोंदिन मां की महिमा के चलते भक्तजनों की भीड़ यहां बढ़ती गई। प्रत्येक शनिवार को मंदिर के कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक यहां भक्तों का रेला लगा रहता है। अमावस में यहां देवी के सम्मुख पेठे की बलि भी दी जाती है।
आज शनिवार है और नवरात्र में मां कालरात्रि की पूजा होती है। नूरी दरवाजा स्थित कालीबाड़ी मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां के पुजारी संतोष शर्मा है। उन्होंने बताया कि देवी की स्थापना यहां करीब 250 साल पहले श्रीशचंद्र भट्टाचार्य और पूर्ण चंद्र भट्टाचार्य ने की थी। देवी ने इन्हें स्वपन में कलश दिखाया था, इसके बाद इन दोनों ने यमुना से लाकर यहां कलश की स्थापना की। दिनोंदिन मां की महिमा के चलते भक्तजनों की भीड़ यहां बढ़ती गई। प्रत्येक शनिवार को मंदिर के कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक यहां भक्तों का रेला लगा रहता है। अमावस में यहां देवी के सम्मुख पेठे की बलि भी दी जाती है।
ये है मान्यता
मन:कामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी ने बताया कि नवरात्र में कालरात्रि की पूजा की मान्यता है कि पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं। मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं। देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विद्युत की माला है। इनके चार हाथ हैं जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है। इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है।
मन:कामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी ने बताया कि नवरात्र में कालरात्रि की पूजा की मान्यता है कि पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं। मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं। देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विद्युत की माला है। इनके चार हाथ हैं जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है। इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है।